देहरादून। भारत में खेलों को नया आयाम देने वाले राष्ट्रीय खेलों की शुरुआत साल 1924 में हुई थी, जब पहली बार दिल्ली में ‘इंडियन ओलंपिक गेम्स’ का आयोजन किया गया। यह सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि भारतीय खिलाड़ियों के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँचने का एक बड़ा अवसर था। तत्कालीन समय में भारत में खेलों को लेकर अधिक जागरूकता नहीं थी, लेकिन इस आयोजन के माध्यम से देशभर के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को चुना गया, जिन्हें आगे चलकर ओलंपिक और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला।
1940 में बदला नाम, बढ़ती रही लोकप्रियता
इस आयोजन की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ती गई और साल 1940 में जब यह बॉम्बे (अब मुंबई) में आयोजित हुआ, तो इसका नाम बदलकर ‘नेशनल गेम्स ऑफ इंडिया’ कर दिया गया। इसके बाद यह टूर्नामेंट हर दो साल में आयोजित होने लगा, जिसका मुख्य उद्देश्य देशभर के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को एक मंच प्रदान करना था। राष्ट्रीय खेलों के माध्यम से खिलाड़ियों को बेहतरीन सुविधाएँ, प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराए जाने लगे। सरकार ने भी इस आयोजन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, ताकि देश को विश्व स्तरीय खिलाड़ी मिल सकें।
देश के कोने-कोने से आते हैं युवा एथलीट
हर बार जब राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होता है, तो पूरे देश में खेलों का माहौल बन जाता है। विभिन्न राज्यों से युवा एथलीट इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं, जिनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें अंतरराष्ट्रीय खेलों के लिए चुना जाता है। यह आयोजन न केवल खिलाड़ियों के लिए एक मंच है, बल्कि उनके सपनों को उड़ान देने वाली एक सशक्त पहल भी है।
राष्ट्रीय खेलों ने दिए कई दिग्गज
खिलाड़ी इस आयोजन ने भारत को कई दिग्गज खिलाड़ी दिए, जिन्होंने न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का परचम लहराया। सरकार भी लगातार प्रयासरत है कि खिलाड़ियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण और संसाधन मिले, जिससे वे विश्व स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन कर सकें।
खेलों का त्योहार बना राष्ट्रीय खेल
लगभग एक सदी पहले शुरू हुई यह परंपरा आज भी उसी जोश और उत्साह के साथ जारी है। यह सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि खेलों का एक महापर्व बन चुका है, जिसमें पूरे देश की उम्मीदें और सपने जुड़े होते हैं। सरकार इस आयोजन को लगातार और प्रभावी बनाने के लिए प्रयासरत है, जिससे भारत को खेलों के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया जा सके।
साभार – हिस
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