उदयपुर, किसी तैराक के दोनों हाथ नहीं थे तो किसी के दोनों पांव, कोई देख नहीं सकता था तो किसी के हाथ-पांव अविकसित थे, लेकिन एक बात सभी में समान थी, वह थी जीतने का जज्बा और जीवन में किसी भी परेशानी से हार नहीं मानने का संकल्प।
यह नजारा था शुक्रवार को उदयपुर के महाराणा प्रताप खेलगांव में शुरू हुई त्रिदिवसीय 21वीं राष्ट्रीय पैरा तैराकी चैम्पियनशिप का जिसमें सेना की एक टीम सहित 23 राज्यों के 400 दिव्यांग स्त्री-पुरुष तैराकों ने भाग लिया। पैरालिम्पिक कमेटी ऑफ इंडिया एवं नारायण सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान व महाराणा प्रताप खेलगांव सोसायटी के सहयोग से आयोजित इस चैम्पियनशिप के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि पद्मभूषण एवं पैरा ओलम्पियन देवेंद्र झाझड़िया ने कहा कि दिव्यांग खिलाड़ियों को समाज और सरकार द्वारा जो सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं उससे निश्चित रूप से दिव्यांगों का हौसला बढ़ा है। उन्होंने पिछले ओलम्पिक में 19 पदक हासिल कर इस बात को सिद्ध कर दिया है कि हौसले और उचित प्रशिक्षण के सामने शारीरिक अक्षमता बाधक नहीं हो सकती।
उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा ने की। उदघाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि ऑलम्पियन अर्जुन अवार्डी कृष्णा नागर, एसडीएम गिर्वा सलोनी खेमका, जेआर नागर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस एस सारंगदेवोत, राजस्थान सिंधी साहित्य एकेडमी के पूर्व अध्यक्ष हरीश राजानी, पैरा ओलम्पिक कमेटी के तैराकी चेयरमैन डॉ. वीके डबास, संयुक्त सचिव कान्ति भाई परमार, जिला खेल अधिकारी शकील हुसैन एवं स्विमिंग कोच महेश पालीवाल थे।
अतिथियों ने राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ ही आकाश में इंद्रधनुषी रंगों के गुब्बारे उड़ा कर चैम्पियनशिप का शुभारंभ किया। संस्थान संस्थापक चेयरमैन पद्मश्री कैलाश मानव एवं संस्थान अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल ने अतिथियों, पैरा तैराकों, टीम प्रबंधकों, प्रशिक्षकों का स्वागत किया। राजस्थान की टीम के पिंटू कुमार ने खिलाड़ियों को शपथ दिलाई। समारोह में विंग कमांडर एमएलएस प्रसाद, ग्रुप कैप्टन दिनेश सूरी एवं नारायण सेवा संस्थान की निदेशक वंदना अग्रवाल ने भी तैराकों की हौसला अफजाई की।
साभार-हिस