भुवनेश्वर. देश के साथ राज्य में घटते कोरोना संक्रमण के बीच लांग कोविद अब चिंता बढ़ा रहा है. इसका प्रभाव लगभग तीन महीने तक देखने को मिल रहा है. इसके बारे में विस्तृत जानकारी आज एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के आंतरिक चिकित्सा विभाग के प्रमुख प्रोफेसर जयंत पंडा ने लोगों के साथ साझा की है. उन्होंने कहा कि कोविद से ठीक हुए रोगियों में कुछ प्रमुख दुष्प्रभाव देखे जा रहे हैं. इनमें सिरदर्द, नींद न आना, थकान, सीने में दर्द, भूख न लगना, खांसी, पेट दर्द, कब्ज, जलन, याददाश्त में कमी आदि दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं.
कोविद के बाद के अधिकांश लक्षण पाचन और अंतःस्रावी तंत्र और हृदय से जुड़े होते हैं. इसके अलावा, कोविद से उबरने वाले रोगियों में श्वसन प्रणाली भी प्रभावित होती है.
उन्होंने कहा कि हम इन्हें पोस्ट-कोविद या लांग-कोविद जटिलताओं के रूप में संबोधित करते हैं. जो 12 सप्ताह तक मौजूद रहते हैं, उन्हें लॉन्ग-कोविद लक्षण कहा जाता है. इनके बाद भी ठीक हो चुके मरीजों को इलाज की जरूरत होगी.
लांग कोविद में लोगों का वजन बढ़ने और लोगों का वजन कम होने के लक्षण भी हैं. कोविद-19 के न्यूरोसाइकिएट्रिक प्रतिक्रियाएं भी देखी जा रही हैं. विशेष रूप से वे, जिनका आईसीयू में लंबे समय तक इलाज चल रहा है, या उन्हें कॉमरेडिडिटी हैं, उनमें लंबे समय तक कोविद के लक्षण अधिक देखने को मिल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जिन लोगों को मधुमेह, किडनी, हृदय, फेफड़े के रोग और कैंसर है, उनमें लॉन्ग कोविद सिंड्रोम से प्रभावित होने का खतरा अधिक होता है.
नए कोरोना वायरस संक्रमण से प्रभावित रोगियों में एक साइटोकिन स्ट्रोम होता है. उन्होंने कहा कि साइटोकिन स्ट्रोम के परिणामस्वरूप तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (एआरडीएस) और बहु-अंग विफलता बढ़ाती है और कोविद-19 के तेज होने या मृत्यु दर में एक महत्वपूर्ण कारक की भूमिका निर्वहन करता है. लांग कोविद से रिकवरी इस बात पर निर्भर करती है कि मरीज को कोविद के इलाज के दौरान कितने समय तक आईसीयू में भर्ती किया गया था. आमतौर पर किसी व्यक्ति को लंबे समय तक कोविद के लक्षणों से उबरने में एक महीने से तीन महीने तक का समय लगता है.
उन्होंने कहा कि जल्द थकान, सीढ़ियों पर चढ़ने में सांस का फूलना आदि गंभीर स्थिति में ला सकते हैं. आक्सीजन स्तर काफी नीचे गिर सकता है. इसलिए लोगों को स्थिति पर नजर रखने की जरूरत है.