एक गरीब परिवार से जुड़े एक व्यक्ति द्वारा विदेशी शिक्षा पद्धति की नींव के साथ ही रोपी गयी भारतीय संस्कृति का बीज बच्चों में संस्कारों के पाठशाला को छाया प्रदान कर रहा है. यह व्यक्तित्व हैं डा विजय कुमार साहू, जिन्होंने विदेशों में शिक्षा हासिल की और अपनी जन्मभूमि पर उसमें संस्कारों का बीजारोपण कर शिक्षा के क्षेत्र को एक मुकाम की ओर लेकर चल पड़े. आज उनके द्वारा स्थापित संस्थान ख्यातियों को हासिल करते हुए लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं. इसी बीच इस मार्गदर्शक के परलोकगमन से न सिर्फ संस्थान के सदस्य, अपितु पूरा समाज स्तब्ध है. शोकाकुल है.
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर
साई इंटरनेशन स्कूल के संस्थापक डा विजय साहू के निधन के साथ ही शिक्षा के ऐसे अध्याय का सत्रावसान हो गया, जिसमें शिक्षा व्यवस्था को एक वैश्विक मुकाम देने का सपना जुड़ा हुआ था. मेहनत और अपनी काबिलियत की बदौलत शिक्षा के क्षेत्र में अपना सिक्का जमा चुका साई इंटरनेशनल का दूसरा कैंपस कटक के टांगी के समीप साई विहार रामदासपुर नुआगांव में स्थापित करने के साथ ही विजय साहू अपने सपनों को साकार करने की दिशा में एक कदम और आगे निकल पड़े थे.
डाक्टर विजय साहू एक प्रख्यात शिक्षाविद् होने के साथ-साथ नई पीढ़ी को समग्र रूप से तैयार करके समाज को समृद्ध बनाने में दृढ़ विश्वास रखते थे. उन्होंने मूल्य-आधारित और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेंच मार्क्ड शिक्षा के माध्यम से बच्चों के पोषण के लिए अपने अभिनव दृष्टिकोण के साथ ओडिशा के शैक्षिक परिदृश्य में एक अग्रणी क्रांति लाई. उन्होंने प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ साझेदारी करके शिक्षा के वैश्विक आयाम की शुरुआत की.
डॉ साहू राज्य की सबसे बड़े चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म एसआरबी एंड एसोसिएट्स के संस्थापक सदस्य भी थे. वह जेएसएस सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क के संस्थापक निदेशक भी रहे, जो भारत सरकार, जेएसएस समूह, आईटी द्वारा अनुमोदित ओडिशा का पहला निजी सॉफ्टवेयर पार्क है. वह इलाहाबाद बैंक के निदेशक, हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के निदेशक, सेसु के बोर्ड सदस्य, फिक्की एराइज के पूर्वी क्षेत्र के चेयरमैन भी रहे.
विदेशों में उच्च शिक्षा हासिल करने के बावजूद उन्होंने इसका लाभ देने के लिए अपनी मातृभूमि को ही कर्मक्षेत्र रूप में चुना. उनका मानना था कि जिस समाज और जिस जमीन ने उनको यहां पहुंचा, उसके लाभ का सबसे बड़ा हकदार वही समाज और वही भूमि है. इसलिए उन्होंने शिक्षा के माध्यम से एक बेहतर भारत के निर्माण की महत्वाकांक्षा रखते हुए पुनः अपने देश लौट आये. ओडिशा आने पर उन्होंने शिक्षा परिदृश्य को बदलने की धारणा के साथ उन्होंने साई इंटरनेशनल स्कूल की स्थापना की, जिसने काफी कम समय में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक क्षेत्र में अपनी जगह स्थापित कर ली. संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को, यूएनआईसी, ब्रिटिश काउंसिल और माइक्रोसॉफ्ट द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान के रूप साई की पहचान स्थापित हो गयी है.
शिक्षा के क्षेत्र में उनकी अथक सेवाओं के लिए, उनकी प्रक्रियाओं की पूर्णता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति समर्पण और नवाचार, डिजिटल प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक स्वभाव के प्रति उनके योगदान के लिए डॉ साहू को सबसे प्रतिष्ठित क्वालिटी चैंपियंस अवार्ड-2020 से सम्मानित किया गया. ‘एजुकेशन एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर 2020’ के रूप में हालही में उनको ‘ईटी नाउ बिजनेस लीडर ऑफ द ईयर’ के सम्मान से भी नवाजा गया. टाइम्स ऑफ इंडिया के “ओडिशा का अचीवर” अवार्ड ने उनको अपने कर्मों की ओर अग्रसर करने के लिए प्रेरित करता रहा. इसके अलावा, उन्हें ब्रिटिश काउंसिल से ग्लोबल टीचर्स एक्रिडिटेशन और स्टीयरिंग लीडरशिप और एंटरप्रेन्योरियल वैल्यूज के लिए कॉरपोरेट ओडिशा अवार्ड ने भी डा साहू का मान बढ़ाया. डॉ साहू का मानना था कि राज्य का विकास एक मजबूत नींव पर होता है, जो ज्ञान, जीवन कौशल और एक लचीला मूल्य प्रणाली पर आधारित होता है.
राज्य सरकार द्वारा उन्हें ओडिशा आदर्श विद्यालय संगठन, स्कूल और जन शिक्षा विभाग, ओडिशा सरकार के सलाहकार के रूप में राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था, जिसका एकमात्र मिशन 314 सीबीएसई अंग्रेजी माध्यम सरकारी स्कूल ओडिशा के हर ब्लॉक में स्थापित करना था. डॉ साहू को भारत के उपराष्ट्रपति की ओर से प्रतिष्ठित उत्कल विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (ऑनोरिस कौसा) की प्रतिष्ठित मानद उपाधि से सम्मानित किया गया. इसके अलावा, उन्हें केंद्र सरकार द्वारा 2500 राष्ट्रीय आदर्श विद्यालयों की स्थापना के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी के लिए मॉडल कन्सेशन एग्रीमेंट के लिए एक सलाहकार के रूप में भी आमंत्रित किया गया था.
डॉ साहू का दर्शन, ‘सबसे अच्छा, या बाकी से अलग’ वर्ष 2030 के लिए उनके रोडमैप को परिभाषित करता है. दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में प्री-स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना उनका सपना था.
शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को पीढ़ी दर पीढ़ी याद रखी जायेगी. आज ओडिशा में गुणवत्ता शिक्षा के मान बढ़ाने में डा विजय कुमार साहू स्थापित साई इंटरनेशनल स्कूल, साई इंटरनेशनल रेजिडेंसियल स्कूल, साई आंगन, साई इंटरनेशलन कॉलेज ऑफ कामर्स काफी महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन कर रहे हैं. शिक्षा की गुणवत्ता के कारण इन विद्यालयों का काफी ख्याति के साथ-साथ अवार्ड भी हासिल हुए हैं.
भुवनेश्वर में साई इंटरनेशनल विद्यालय की स्थापना वर्ष 2008 में आठ एकड़ जमीन पर की गई, जहां आज विद्यालय में हजारों बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. डाक्टर साहू का मानना था कि भारत के विद्यालयों में अभी तक पाश्चात्य संस्कृति नहीं पहुंची है. हमारे देश में आज भी गुरु-शिष्य की परंपरा कायम है. साई इंटरनेशनल में आज भी बच्चे गुरुजनों का आशीर्वाद चरणस्पर्श करके ही प्राप्त करते हैं. साई इंटरनेशनल पाठशाला के साथ-साथ संस्कारशाला की भूमिका भी निर्वहन करता है. हर त्योहार हमारे विद्यालय में बच्चे मनाते हैं. परिवार के संस्कार को बढ़ावा देने के लिए ग्रैंड पैरेंट्स डे आयोजित किये जाते हैं. इसका उद्देश्य बुजुर्गों को सम्मान करना सीखाना होता है.
नवाचार, गुणवत्ता और सृजनशील युक्त शिक्षा को बल देने वाले डाक्टर विजय कुमार साहू अक्सर कहा करते थे कि अभिभावक अंकों के पीछे कभी नहीं भागें. बच्चों के सर्वांगीण विकास पर जोर दें. इसमें बच्चे और देश का विकास निहित है. बच्चों के लिए सुझाव है आप अपने प्रति समर्पित रहें. समय के महत्व को समझें. समय कभी लौटकर नहीं आता. शिक्षा के महत्व को समझें. शिक्षा की बदौलत किसी भी क्षेत्र में अग्रणी भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं.
प्रख्यात शिक्षाविद् और चार्टर्ड एकाउंटेंट विजय कुमार साहू का निधन तीन जून-2021 को हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. साहू 58 साल के थे. इससे पहले कोविद-19 पाजिटिव पाये जाने के बाद कटक के अश्विनी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. साहू की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (कीम्स) हैदराबाद ले जाया गया था. साहू का पिछले कुछ दिनों से कीम्स हैदराबाद में एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन ट्रीटमेंट चल रहा था.
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की संवेदना
प्रसिद्ध शिक्षाविद् और उद्यमी डॉ विजय कुमार साहू के निधन के बारे में जानकर गहरा दुःख हुआ. उन्होंने ओडिशा आदर्श विद्यालय संगठन के सलाहकार के रूप में सरकारी स्कूली शिक्षा को बदलने में उनकी अग्रणी भूमिका निर्वहन की थी. उनके परिवार, दोस्तों और छात्रों के प्रति मेरी संवेदना.
यादों में आप रहेंगे सदैव जिंदा
आपका व्यक्तित्व सैदव आप के चेहतों के दिलों में सदैव जिंदा रहेगा. आपके निधन से शिक्षा के क्षेत्र में कभी भी भरा नहीं जाने वाला एक स्थान रिक्त हो गया है. आपके सपने न सिर्फ आपसे जुड़े सहकर्मियों को अपितु दूसरों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहेंगे. आज आपका सपना उन लाखों बच्चों के दिलों से जुड़ चुका है, जिसने आपके आंगन में संस्कारों की दीक्षा ली है. आप अपने प्रतिस्पर्धियों के लिए आर्दश रहें हैं. एक ऐसे व्यक्तित्व के जाने से पूरा समाज स्तब्ध है. शोकाकुल है.