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अब भी जारी है राहत और बचाव कार्य, अधिकांश इलाकों में बिजली और जलापूर्ति बहाल
गोविंद राठी, बालेश्वर
भीषण चक्रवात यश के तांडव के कारण उजड़ी जिंदगी को संवारने की जद्दोजहद तेज हो गयी है. यश के कारण प्रभावित बालेश्वर जिला के साथ-साथ मयूरभंज, भद्रक और केंद्रापड़ा आदि क्षेत्र में राहत कार्य अभी भी जारी है. गिरे पेड़ों को काट कर हटाने में ओड्राफ और एनडीआरएफ के जवान जुटे हुए हैं. जिन गांवों में पानी जमा हुआ है, वहां लोग अपने घरों के सामनों को व्यवस्थित करने में जुटे हुए हैं. किसान अपने किस्मत पर रो रहे हैं. खेतों में खड़ी फसल जलजमाव के कारण नष्ट हो गयी है. किसानों की पूंजी चक्रवात यश के कारण आये समुद्र के नमकीन पानी में डूब गयी है. किसानों ने सरकार से राहत प्रदान करने की मांग की है, ताकि उनकी रोजी-रोटी चल सके और आने वाले सीजन में वह पुनः खेती कर सकें.
इधर, तटीय ग्रामीण इलाकों में घरों में पानी घुसने से लोगों का काफी सामान नष्ट हो चुका है. कच्चे मकानों को नुकासन होने के कारण गरीब परेशान हैं. कई जगहों पर झोपड़ियों पर पेड़ गिरने से काफी नुकासन पहुंचा है, जहां आज भी राहत और बचाव दल के सदस्य पेड़ों को हटाने में जुटे हुए हैं.
मयूरभंज में जिला पुलिस अधीक्षक ने जलमग्न इलाकों का दौरा करके राहत और बचाव कार्य में जुटे कर्मचारियों का हौसला बढ़ाया तथा सहयोग के लिए लोगों के प्रति आभार जताया.
केंद्रापड़ा जिले में पेड़ों को हटाने का काम तेजी से चल रहा है. जवान पेड़ों को काट-काटकर हटाने में जुटे हैं. इस काम में लोगों का भी सहयोग मिल रहा है. चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों में आज भी राहत काम चल रहा है. शहरी इलाकों में परिस्थितियां सामान्य हो चुकी है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी जद्दोजहद जारी है.
बालेश्वर जिले में तटीय इलाकों में समुद्र का पानी प्रवेश करने के खेती के साथ-साथ झींगा मछली पालन करने वालों को भी काफी नुकसान पहुंचने की खबर है. झींगा और अन्य मछलियों के पालन में जुटे लोगों ने भी सरकार से राहत पैकेज की मांग की है.
चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों में कई जगहों पर विद्यालयों पर पेड़ गिरा है, जिससे अवसरंचना पर असर पड़ा है. चूंकी कोरोना संक्रमण के कारण विद्यालयों में अभी पढ़ाई नहीं हुई है, इसलिए अभी कोई इसका असर नहीं पड़ने वाला है.