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एमार मठ की साक्षीगोपाल तथा ओल्डटाऊन शाखाओं की भी जांच की मांग

अशोक पाण्डेय, भुवनेश्वर

ओडिशा में मठ-मंदिर के अनुसंधानकर्ता अनिल धीर ने बताया कि श्री जगन्नाथ पुरी के एमार मठ में अप्रैल के प्रथम सप्ताह में पुनः कुल लगभग 25 चांदी-ईंट का खजाना मिला है, जिसकी कीमत लगभग 50-60 लाख रुपये होगी. उन्होंने बताया कि 2011 में पहली बार मठ की दीवार से लगभग 522 चांदी की ईंटें मिली थीं, जिसकी कीमत लगभग एक सौ करोड़ रुपये आंकी गई थी. एमार मठ के महंत को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भी भेजा गया था. एमार मठ पिछले लगभग 10 वर्षों से पुरी स्थानीय पुलिस के संरक्षण में है. अनिल धीर ने कहा कि हमने न्यायालय से इसमें हस्तक्षेप करने की अपील की है, लेकिन सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि आजतक जो भी एमार मठ से चांदी की ईंट का खजाना मिला है उसके खिलाफ कोई चार्जशीट भी नहीं हुई है, और ना ही वह खजाना मान्यवर न्यायालय को ही सौंपा गया है.

अनिल धीर के अनुसार 1866 में ओडिशा में जब सूखा पड़ा तो उस दौरान भी ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा पुरी में भक्तों तथा मठों को जीवित रखने के लिए तथा अनेक राहत भोजनालय चलाने की जरुरत पड़ी, जिसके लिए उन्होंने पुरी के अनेक धनाढ्य मठाधीशों से अनाज के स्टाक की मांग के बदले चांदी की ईंटें देनी पडी थी. उनदिनों एमार मठ सबसे बड़ा जमीन का मालिक था. अनिल धीर ने पुरी के एमार मठ की ओडिशा के साक्षीगोपाल शाखा, जिसका निर्माण 1850 के दशक में हुआ था, उसके साथ-साथ भुवनेश्वर ओल्डटाऊन शाखा की जांच की भी मांग की है, जहां पर चांदी की ईंटें रखी जाने की संभावना है.

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