-
उसे पागल घोषित करने की साजिश करने का लगा आरोप
भुवनेश्वर. पुरी के नागा साधु वैष्णव पुरी की तथाकथित गैरकानूनी गिरफ्तारी व उसे पागल घोषित करने की साजिश का आरोप लगाते हुए श्रीजगन्नाथ संस्कृति सुरक्षा परिषद ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है. परिषद ने अपनी शिकायक में कहा है कि पुरी के नागा साधु बाबा वैष्णव पुरी को ओडिशा पुलिस ने गैरकानूनी रूप से गिरफ्तार किया है और उन्हें जेल में रखकर मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न करने के बाद उनकी मानसिक स्थिति खराब कहकर उन्हें पागल घोषित करने की साजिश चल रही है. परिषद ने मानवाधिकार आयोग को इस संबंध में हस्तक्षेप कर नागा साधु को मुक्त करने की मांग की है. इसके साथ-साथ उनके मानवीय अधिकारों के उल्लंघन व उत्पीड़न के दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की है.
इस मामले में परिषद ने ओडिशा पुलिस के महानिदेशक, राज्य मानवाधिकार आयोग, पुरी के एसपी तथा राज्य के गृह विभाग के सचिव को पक्ष बनाया है. परिषद द्वारा की गयी शिकायत में कहा गया है कि नागा साधु वैष्णव पुरी विभिन्न समय में राज्य सरकार के हिंदू विरोधी निर्णय का विरोध करते थे. जब राज्य सरकार ने श्री मंदिर के सौंदर्यीकरण के नाम पर पुराने मठों को तोड़ना शुरू किया, तब उन्होंने सड़क पर आकर आंदोलन किया था. ओडिशा सरकार ने कोरोना की आड़ में रथयात्रा को बंद करने की बात सोची, तब भी यह नागा साधु सरकार की कड़ी भाषा में आलोचना कर रहे थे. इस कारण राज्य सरकार व ओडिशा पुलिस तथा पुरी जिला प्रशासन समेत अन्य लोग नागा साधु को परेशान करते थे. यहां तक कि उन्हें पुरी शहर छोड़कर जाने के लिए ओडिशा पुलिस ने धमकी दी थी, लेकिन स्थानीय लोगों व श्री जगन्नाथ जी के भक्तों का नागा साधु के प्रति समर्थन था. 14 मार्च 2021 को श्रीमंदिर के अंदर सामान्य कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन के आरोप में पुलिस ने नागा साधु पर हमला किया. इस बारे में विभिन्न समाचार पत्रों में खबरें भी प्रकाशित हुईं, लेकिन पुलिस ने उस दिन नागा साधु के खिलाफ विभिन्न धाराएं लगाकर गिरफ्तार कर लिया. सामान्य नियम उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार करने वाली पुलिस ने उन्हें 20 दिन तक जेल में रखी. इसके बाद उनकी चिकित्सा होने की बात कहकर उन्हें कटक जिले के चौद्वार जेल लाया गया. अब उन्हें कटक के मेडिकल में मानसिक रोगी वार्ड में भर्ती कराया गया है. नागा साधु संपूर्ण ठीक हैं, लेकिन पुलिस उन्हें मानसिक रोगी घोषित करने पर उतावली दिख रही है. इसलिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को इस मामले में हस्तक्षेप करने, उन्हें रिहा करने तथा दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई है.