अशोक पाण्डेय, भुवनेश्वर
ओडिशा के गांधीवादी रावजीभाई राथौर का उनके पैतृक निवास खरियाररोड, नुआपड़ा में 15 अप्रैल को सुबह 11.45 बजे निधन हो गया. वे लगभग 99 वर्ष के थे. अगर वे जिन्दा रहते तो 11 सितंबर, 2021 को अपना 100 जन्मोत्सव मनाते. स्वर्गीय रावजीभाई राथौर गांधीजी के साथ मिलकर स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान दिया था. वे ओडिशा की धरती के ऐसे सपूत थे जिनकी धमनियों में जीवन के अंतिम क्षण तक सच्ची देशभक्ति की अविरल चाह थी. जब रावजीभाई राथौर मात्र 13 साल के थे, तभी वे गांधीजी से पहली बार 1933 में मिले थे, जब गांधीजी अपने स्वतंत्रता आंदोलन अभियान के सिलसिले में रायपुर आये थे तथा पण्डित शंकर शुक्ला के घर पर बोधापड़ा में ठहरे थे. गांधीजी बालक रावजीभाई राथौर की सच्ची देशभक्ति की इच्छाशक्ति से काफी प्रभावित थे. स्वर्गीय रावजीभाई राथौर आजीवन खादी वस्त्र को ही अपनाये तथा विदेशी वस्त्रों का त्याग किये. वे आजीवन गांधी-विचारों तथा गांधी-जीवन-दर्शन के अनुआई तथा प्रचारक थे. वे वार्धा गांधी आश्रम में भी रहे थे. उन्होंने गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन में भी सक्रिय रुप से हिस्सा लिया था. पूरे राजकीय सम्मान के साथ आज सायं 4.00 बजे ओडिशावासियों ने अपनी-अपनी नम आंखों से उन्हें उनका अंतिम संस्कारकर उनको अलविदा किया. स्वर्गीय रावजीभाई राथौर का पूरा जीवन सच्ची देशभक्ति की प्रेरणा है. गांधीवादी कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए उनको अपनी सच्ची श्रद्धांजलि दी है.
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