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अपने ऐतिहासिक निर्णय से कीस पूरे भारत में
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प्रथम उदाहरण बना
अशोक पाण्डेय, भुवनेश्वर
भुवनेश्वर स्थित विश्व के सबसे बड़े आदिवासी आवासीय विद्यालय, कलिंग इंस्टीट्यूट आफ सोसल साइंसेज (कीस) ने अपने स्कूली पाठ्यक्रम के नये सत्र (2021-22) में शतरंज खेल को शामिल कर लिया है. ऐसे में अपने ऐतिहासिक निर्णय से कीस भारत का एकमात्र पहला ऐसा स्कूल बन चुका है जिसने शतरंज खेल की लोकप्रियता को छोटे-छोटे बच्चों तक पहुंचाकर उनकी आत्मबुद्धि, स्वविवेक और धैर्य को बढ़ाने का सफल प्रयास करेगा. पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय शतरंज परिसंघ के महासचिव भरत सिंह चौहान ने बताया कि एआईसीएफ तथा अखिल ओडिशा शतरंज संघ ने मिलकर यह ऐतिहासिक निर्णय आज लिया है कि वर्तमान नये शैक्षिक सत्र से कीस ही एकमात्र ऐसा स्कूल होगा जो शतरंज को अपने स्कूली पाठ्यक्रम में लागू करेगा. इस अवसर पर कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत, एआईसीएफ के अध्यक्ष संजय कपूर, उपाध्यक्ष भवेश पटेल, कोषाध्यक्ष नरेन्द्र शर्मा, एओसीए के अध्यक्ष रंजन मोहंती, महासचिव देवव्रत भट्ट आदि की उपस्थिति में यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया. सर्वसम्मति से लिये गए ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत उपस्थित सभी ने करतल ध्वनियों के साथ किया. अपने सारगर्भित संबोधन में प्रोफेसर अच्युत सामंत ने शतरंज के खेल से जुड़े मंचस्थ सभी शीर्ष पदाधिकारियों के प्रति उनके ऐतिहासिक निर्णय का तहेदिल से स्वागत करते हुए उनके प्रति शुक्रिया जताते हुए कहा कि कीस में शतरंज खेल को बढ़ावा देने के लिए समस्त अत्याधुनिक संसाधन उपलब्ध हैं. उन्होंने यह भी बताया कि कीट-कीस में उपलब्ध समस्त खेलों के लिए खेल संसाधन समेत अंतर्राष्ट्रीय मानदण्डोंवाला खेलों के मैदान तथा इंडोर-आऊटडोर स्टेडियम भी हैं, जिसकी बदौलत कीट-कीस ने अबतक कुल लगभग 5000 नेशनल तथा इंटरनेशनल खिलाड़ी तैयार कर चुका है. मंचासीन सभी आमंत्रित मेहमानों का स्वागत कीट-कीस स्वागत परंपरा के तहत किया गया. इस अवसर पर डा गगनेंदु दाश, खेल निदेशक कीट डीम्ड विश्वविद्यालय समेत पूरे ओडिशा के शतरंज खेल संघ के अनेक पदाधिकारी तथा खिलाड़ी आदि उपस्थित थे.