अशोक पाण्डेय, भुवनेश्वर.
पुण्यतिथि पर स्वर्गीय अनादिचरण सामंत को लोगों ने श्रद्धा अर्पित की है.ओडिशा प्रदेश के कटक जिले के सुदूर तटवर्तीय कलराबंक गांव के रहनेवाले अनादिचरण सामंत का महानिरवाण 19 मार्च,1969 को हुआ. वे झारखण्ड राज्य की औद्योगिक नगरी टाटा, जमशेदपुर में एक साधारण नौकरी करके अपनी पत्नी नीलिमारानी सामंत तथा अपने 3-3 बाल-बच्चों का किसी प्रकार भरण-पोषण करते थे. एक रेलदुर्घना में जब उनका असामयिक निधन हुआ, उस समय उनके सुपुत्र कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत की उम्र मात्र लगभग 04 साल की थी, जबकि उनकी लाडली बेटी डा इति सामंत की उम्र मात्र एक महीने की थी. एक अनौपचारिक बातचीत में डा इतिरानी सामंत ने बताया कि वे जब बड़ी हुईं तो उनकी मां जो आज स्वर्गीया हो चुकी हैं ने बताया था कि उनके स्वर्गीय पिताजी एक बड़े ही धर्मपरायण और नेक व्यक्ति थे. उनकी नौकरी तो बहुत छोटी थी, लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा था. वे भगवान जगन्नाथजी और हनुमानजी के भक्त थे. उनको अपने हाथों से प्रतिदिन चींटी को आटा और गूड़ खिलाने का बडा शौक था. वे जबतक जीवित रहे सदा अभावों में रहे, लेकिन कभी भी उनके चेहरे पर दुख और परेशानी नहीं दीखी. उनके जीवन में ऐसा भी दिन आया जब वे एक फेरीवाले से कर्ज लेकर बड़ी मुश्किल से अपना पारिवारिक तथा सामाजिक जीवन जीये. वे आजीवन एक अच्छे और नेक इंसान के रुप में अपनी सुंदर छवि बनाकर रहे. उनके मरणोपरांत फेरीवाला जब अपने दिये हुए कर्ज का पैसा वापस मांगने के लिए कलराबंक आया तो उसकी आंखें नम हो उठीं तथा वह यह कहकर जमशेदपुर, टाटा वापस लौट गया कि उसका अनादिचरण सामंत को दिया गया कर्ज का पैसा पहली बार किसी अच्छे काम में लगा है जिसके लिए वह आज अति प्रसन्न है. आज हमसब को भी स्वर्गीय अनादिचरण सामंत के महानिरवाण दिवस 19मार्च पर एक ही संदेश का संकल्प लेना चाहिए कि जिसप्रकार उनके सुपुत्र प्रोफेसर अच्युत सामंत ने उनसे पैतृक संस्कार में अपने जीवन की बाल्यकाल की घोर आर्थिक तंगी को चुनौती मानकर कीचड़ में कमल की तरह विहंसना सिखाया,स्वयं अभावों में पल-बढकर लाखों जरुरतमंदों के सहारा बनें हैं. सभी के चेहरे पर मुसकराहट दे रहे हैं. 1992-93 में उनके द्वारा भुवनेश्वर में स्थापित कीस के माध्यम से हजारों अनाथ, बेसहारा, विकास की मुख्य धारा से वंचित आदिवासी बच्चों को अपनी ओर से केजी से पीजी कक्षा तक निःशुल्क उत्कृष्ट शिक्षा उपलब्ध कराकर उनको स्वावलंबी बनाकर विकास की मुख्य धारा के साथ जोड रहे हैं, ठीक उसी प्रकार हमसब भी आज स्वर्गीय अनादिचरण सामंत के महानिरवाण दिवस,19 मार्च पर यह संकल्प लें कि हमसब की सोच आज से सकारात्मक होगी. हमसब अपने जीवन की आर्थिक तंगी से कमल की तरह खिलना और सदैव मुसकराना सीखें तथा यथासंभव परोपकार तथा लोकहित में अपने जीवन को लगाएं.
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