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आठ बजे के बाद लगता है हाथियों का रैला
संबलपुर। संबलपुर जिले के जुजुजुमरा वन रेंज में हाथियों की सक्रियता हमेशा बनी रहती है। शाम होते ही हाथी झुंड में निकटस्थ गांव का रूख करते हैं और खड़ी फसलों को नष्ट करने समेत लोगों के कच्चे मकान को ध्वस्त करने से बाज नहीं आते हैं। इस दौरान यदि कोई व्यक्ति उन हाथियों के समुख आ गया तो उसे जीवन एवं मौत के बीच संग्राम करना पड़ता है। वन विभाग के अधिकारी भी हाथियोंं के उपद्रव से भलीभांति परिचित हैं, इसके बावजूद वहांपर सक्रिय हाथियों को अन्यत्र खदेडऩे की दिशा में अपेक्षित पदक्षेप उठाया नहीं जा रहा है। मसलन वहां के ग्रामीणों मे भय का माहौल व्याप्त है। जुजुमुरा के सदर वन रेंज अंतर्गत बसियापाड़ा के रुगड़ीपाड़ा गांव के लोगों की हालत ऐसी हो गई है कि हाथियों से रक्षा हेतु उन्हें पेड़ पर मचान बनाना पड़ा है। अपराहन तीन बजे तक खाना-पीना समाप्त कर गांव के सभी महिला एवं पुरूष पेड़ पर बनाए गए करीब सात मचानों में घुस जाते हैं।
जबकि महिलाएं गांव में बने पांच पक्के मकानों की छत में शरण लेती हैं। उनका कहना है कि रात आठ बजे के बाद से ही गांव में हाथियों का आना शुरू हो जाता है जो देर रात तक चलता है। उन्होंने बताया कि पिछले 12 मार्च को हाथियों ने रूगड़ीपाड़ा निवासी जोसेफ के कच्चे मकान को ध्वस्त कर दिया तथा घर में रखा धान एवं चावल चट कर गए। इसके बाद सिलसिलेवार तरीके से उन्होंने गांव के अन्य घरों को अपना निशाना बनाया। जिसके बाद से ही ग्रामीणों में भय का वातावरण बना हुआ है। रूगड़ीपाड़ा गांव में कुल 21 परिवार के लोग बसबास करते हैं। उनका कहना है कि पिछले दो सालों के अंतराल में जंगली हाथियों ने उन्हें काफी नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को मामले की जानकारी दिया और उन्हेंं उचित मुआवजा दिए जाने की मांग किया। विडंबना का विषय यह है कि उन्हें आजतक सरकारी सहायता उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। अब अपनी जान बचाने हेतु पेड़ का सहारा लेना पड़ा है। यदि वन विभाग की ओर से हाथियों को अन्यत्र खदेडऩे की दिशा में अपेक्षित पहल नहीं किया गया तो आनेवाले दिनों में उनकी परेशानी और बढ़ जाएगी। संबलपुर के सचेतन लोगों ने ग्रामीणों की इस व्यथा को गंभीरता से लिया है तथा वन विभाग के आला अधिकारियों से इस सिलसिले में बात करने का आश्वासन दिया है।