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धान खरीद के मुद्दे पर सरकार आश्वासन की रक्षा ना करने पर क्यों चले सदन –विपक्ष

  • सर्वदलीय बैठक बुलाकर चर्चा के साथ धान की खरीद के लिए ठोस कार्यवाही हेतु रूलिंग देने की मांग

  • धान खरीद की समस्या का स्थाई समाधान को लेकर सदन में बयान देने के लिए विभागीय मंत्री को विधानसभा अध्यक्ष का निर्देश

भुवनेश्वर. किसानों से धान की खरीद करने संबंधी राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में आश्वासन दिया जाने के बाद भी किसानों से धान नहीं खरीदा जा रहा है. ऐसी स्थिति में विधानसभा को चलाने की क्या आवश्यकता है. विपक्षी विधायकों ने यह सवाल किया है. इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष सर्वदलीय बैठक बुलाकर चर्चा करें तथा धान की खरीद को लेकर ठोस कार्यवाही करने हेतु विभागीय मंत्री को निर्देश दे. भाजपा व कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा में आज यह मांग की. उधर, विपक्षी विधायकों की चिंता को ध्यान में रखकर विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले में विभागीय मंत्री से बयान देने का निर्देश दिया.

दोपहर 11:30 पर सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर विपक्षी भाजपा व कांग्रेस के विधायक धान की खरीद ना होने के संबंध में मुद्दे को लेकर सदन के बीच में फिर से आ गए. उन्होंने इन मुद्दों को ले को लेकर हंगामा करने के साथ-साथ नारेबाजी की. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्र को बोलने के लिए बुलाया.

मिश्र ने कहा कि पहले चरण के अधिवेशन में इस मुद्दे को उठाया गया था और इस कारण सदन में गतिरोध देखा गया था. इसका समाधान के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी. संसदीय मंत्री ने इस मुद्दे पर बयान दिया था. इस बयान में मंत्री ने कहा था कि जो सही किसान हैं, उनसे धान की खरीद होगी. दुर्भाग्य की बात यह है कि 12 दिन होने के बावजूद इस पर किसी प्रकार का कार्यवाही नहीं किया गया है. यह सरकार का विधानसभा के प्रति विश्वासघात है. यह किसानों व विधायकों के प्रति बेईमानी है. मिश्र ने कहा कि सदन में चर्चा होती है, वह दीवारों को या फिर विधानसभा के अध्यक्ष को सुनाने के लिए नहीं होती. चर्चा के दौरान जो निष्कर्ष निकलता है, उसका क्रियान्वयन होना चाहिए. सरकार ने जो आश्वासन दिया है उसका क्रियान्वयन हो, इसकी जिम्मेदारी विधानसभा अध्यक्ष की है. विधायकों को सुरक्षा देने का जिम्मा भी विधानसभा अध्यक्ष की है. यदि सरकार अपनी बात को नहीं मानती तो विधानसभा अध्यक्ष अपनी ओर से विशेषाधिकार हनन की नोटिस ला सकते हैं. उन्होंने बताया कि राज्य के विभिन्न जिलों से धान की खरीद ना होने संबंधी सूचना उन्हें मिली है. अखबारों में रोज इस तरह की खबरें फोटो सहित प्रकाशित हो रही हैं. दुर्भाग्य की बात है कि विधानसभा अध्यक्ष में विधानसभा सदन में आश्वासन के बाद भी धान की खरीद नहीं होती है. यह ओडिशा की जनता व सदन के प्रति विश्वासघात है.

भाजपा विधायक जयनारायण मिश्र ने कहा कि सदन की निर्णय, मंत्री का आश्वासन और विधानसभा के अध्यक्ष के निर्देश का यहां कार्यन्वयन तक नहीं किया जा रहा है. अभी धान मंडियों में पड़ा है. उन्हें कोई नहीं खरीद रहा है. किसानों की स्थिति धीरे-धीरे खराब हो रही है. यदि सरकार का घोषणा का ही कार्य नहीं होता है तो विधानसभा को चलाने का क्या तुक है.

 

कांग्रेस विधायक तारा प्रसाद वाहिनी पति ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य भी धान की खरीद के मामले को लेकर चिंतित हैं. सत्तारुढ़ पार्टी के विधायकों से जब विधानसभा लाबी में बात होती है, तो वे इस मामले को लेकर चिंता व्यक्त करते हैं. क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी के हैं, इसलिए वे खुले तौर पर उसका विरोध नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए यह मामला पार्टी से ऊपर है. सभी लोगों का है सभी पार्टी के विधायक किसानों से धान की खरीद सही रूप से हो यह मांग करते हैं. इसलिए विधानसभा अध्यक्ष इस मामले को लेकर कड़ा निर्णय लें. उन्होंने यह भी कहा कि धान की खरीद ना होने तक चलाया नहीं जा सकता.

प्रतिपक्ष के नेता प्रदीप्त नायक ने कहा कि धान की समस्या हर साल की तरह जारी रहना दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार द्वारा दिया गया आश्वासन यदि क्रियान्वयन नहीं होगा व धान की खरीद नहीं होगी तो फिर स्थिति क्या होगी. उन्होंने सवाल किया कि विधानसभा में इस बारे में कितनी बार चर्चा होगी. उन्होंने कहा कि इस मामले में सर्वदलीय बैठक बुलाकर ठोस कार्यवाही की जाए, ताकि इस मामले का समाधान निकाला जा सके.

भाजपा विधायक कुसुम टेटे ने कहा पहले चरण के विधानसभा सत्र के समाप्ति के बाद अपने चुनाव क्षेत्र में गए थे. तब देखा कि मंडिया बंद हो चुकी है किसान धान लेकर उनके घर पर आए थे. उन्होंने इस बारे में जिला अधिकारी को अवगत कराया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ किसानों से धान की खरीद नहीं हो रही है.

विधानसभा अध्यक्ष सूर्य नारायण पात्र ने सदन की चिंता को ध्यान में रखते हुए धान की खरीद समस्या का स्थाई समाधान को लेकर सदन में बयान देने के लिए खाद्य आपूर्ति व उपभोक्ता कल्याण मंत्री को निर्देश दिया.

विपक्षी विधायक इस पर संतुष्ट नहीं दिखे और हंगामा जारी रखा इस कारण विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को 12:15 से दोपहर 4:00 बजे तक स्थगित करने की घोषणा की.

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