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एक सप्ताह में ओडिशा के विभिन्न जंगलों में 5291 बार लग चुकी है आग

  • पर्यावरणविदों का मानना है वन विभाग की लापरवाही एवं मानवकृत है आग लगने का कारण: मूल्यवान आषधीय पेड़-पौधे

भुवनेश्वर. ग्रीष्म ऋतु के आगमन के साथ ही जंगलों में आग लगने की घटना में भी तेजी से इजाफा होने लगा है. आठगढ़ डिवीजन खुण्टुड़ी रेंज कृष्णपुर जंगल में हुई अग्निकांड के बाद अब अनुगूल जिले के कुइओ जंगल में सोमवार रात को आग लग गई और लगभग 20 एकड़ जंगली इलाका जलकर खाक हो गया. इसमें मौजूद अनेकों मूल्यवान पेड़ पौधे नष्ट हो गए. किसी ने जानबूझकर जंगल में आग लगा देने की बात कही जा रही है. ओडिशा के प्राय: जंगलों में आग लगने की घटनाएं होती रहती हैं. खासकर कंधमाल, गंजाम, गजपति, मालकानगिरी एवं रायगड़ा जिले के जंगलों में ज्यादा मात्रा में आग लगने की घटना सामने आती हैं.
भारतीय जंगल सर्वेक्षण (एफएसआई) से मिले तथ्य के मुताबिक, जंगलों में आग लगने की घटना के मामले में ओडिशा देश में पहले स्थान पर है. 22 फरवरी से 1 मार्च के बीच ओडिशा के विभिन्न जंगलों में 5291 अग्निकांड घटना हो चुकी है. अन्य राज्यों की तुलना में ओडिशा के जंगलों में हो रही अग्निकांड की घटना तीन गुना अधिक है. विशेषज्ञ अग्निकांड के लिए बढ़ रहे तापमान को जिम्मेदार मानते हैं मगर ओडिशा में मानवीय लापरवाही के कारण ज्यादातर अग्निकांड की घटना हो रही है. एक सप्ताह में जंगल में आग लगने की घटना के मामले में ओडिशा के बाद दूसरे स्थान पर तेलेंगाना राज्य है, जहां पर एक सप्ताह में 1527 अग्निकांड घटना सामने आयी है. इसके बाद मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर है जहां पर 1507 अग्निकांड सामने आयी है जबकि चौथे स्थान पर आन्ध्र प्रदेश है, जहां 1292 अग्निकांड की घटना सामने आयी है. 1 नवम्बर से ओडिशा में कुल 7188 अग्निकांड प्रवण क्षेत्र की पहचान की गई है. केन्दुपत्र संग्रह करने, महुआ संग्रह करने तथा शिकार करने वालों के कारण ओडिशा में अग्निकांड की घटना ज्यादा होने की बात एफएसआई रिपोर्ट में कही गई है. केवल इसी साल नहीं बल्कि 2017 से 2019 के बीच भी ओडिशा के जंगलों में सर्वाधिक अग्निकांड घटना देखने को मिली है.
एफएसआई के मुताबिक, 2017 में ओडिशा में 36287 अग्निकांड हुआ था जबिक 2018 में 31680 एवं 2019 में 19787 अघ्निकांड घटना हुई है. इससे 2017 में 14121 हेक्टर जंगल, 2018 में 9730 हेक्टर जंगल और 2019 में 7164 हेक्टर जंगल जलकर नष्ट हो गया है. हालांकि इस समय कितना नुकसान हुआ था, उसका आकलन नहीं किया गया है. ओडिशा के जंगलों में अधिकतर मार्च महीने से अग्निकांड की घटना शुरू होती है और मई महीने के अंत में जाकर कम होती है.
पर्यावरणविद विश्वजीत मोहंती का कहना है कि ओडिशा के जंगलों में आग लगने की घटना मानवकृत है. शिकारी अधिकांश समय आग लगाकर जंगल को जलाते हैं. यदि वन विभाग सतर्क रहता तो स्थानीय वन सुरक्षा समिति के साथ चर्चा कर जंगल की रखवाली के लिए उन्हें दायित्व देता. ऐसा करने से इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है. वन सुरक्षा समितियां जंगल में आग लगते ही वन विभाग को सूचना देती और फिर आग व्यापक फैले उससे पहले उसे बुझा दिया जाता. वन विभाग की निष्क्रियता के कारण ओडिशा के जंगलों में आग लगने की घटना में इजाफा हो रहा है. उन्होंने कहा है कि जंगल में आग लगने की घटना पूरी दुनिया के लिए चिंताजनक है. हर साल पूरी दुनिया में 6 लाख 70 हजार किमी. जंगल अग्निकांड के कारण ध्वस्त हो जा रहे हैं, जो कि विश्व के कुल जंगल जमीन का 2 प्रतिशत भाग है. इससे वायुमंडल में करोड़ों टन अंगारकाम्ल निगमन हो रहा है और इससे विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य से संबन्धित समस्या उत्पन्न हो रही है.

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