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साल 1999 में हुए सामूहिक बलात्कार मामले के मुख्य आरोपी को किया गिरफ्तार
भुवनेश्वर. साल 1999 में हुए सामूहिक बलात्कार मामले के मुख्य आरोपी बीबन उर्फ विवेकानंद बिस्वाल को गिरफ्तार करने में भुवनेश्वर-कटक कमिश्नरेट पुलिस ने सफलता हासिल की है. हालांकि सीबीआई 22 साल बाद भी उसे ट्रैक करने में विफल रही. कमिश्नरेट पुलिस ने तीन महीने पहले केस फाइल को फिर से खोला और गुप्त तरीके से एक ऑपरेशन शुरू किया.
भुवनेश्वर-कटक कमिश्नर सुधांशु षाड़ंगी ने व्यक्तिगत रूप से ऑपरेशन का निरीक्षण किया और केवल चार अधिकारियों, डीसीपी प्रतीक सिंह, एडिशनल डीसीपी प्रमोद रथ, इंस्पेक्टर स्पेशल स्क्वायड अजय कुमार दास और बारंग पुलिस स्टेशन आईआईसी शशिकांत राउत को इसकी जानकारी थी.जांच के दौरान उन्हें पता चला कि मुख्य आरोपी मुंबई-पुणे रोड पर लोनावाला में आमबी घाटी का रह रहा है. वह प्लंबर का काम कर रहा था और उसने अपना नाम बदलकर जालंधर स्वाईं कर लिया था. वह नारनपुर को अपना स्थायी पता बताया था. जमीनीस्तर पर जांच में पता चला है कि नारनपुर में कोई जालंधर स्वाईं नामक व्यक्ति नहीं है.उसको पुणे में एक स्थायी नौकरी मिल गई थी और एक बैंक खाता भी खोल लिया था. साथ ही नये नाम से आधार कार्ड का लाभ उठाया.19 फरवरी 2021 को ओडिशा पुलिस की एक टीम बदामबाड़ी आईआईसी रश्मि रंजन महापात्र के नेतृत्व में मुंबई के लिए रवाना हुई. नवी मुंबई के पुलिस आयुक्त बिपिन सिंह ने अपना सहयोग दिया. नवी मुंबई डीसीपी-सीआईडी प्रवीण पाटिल के नेतृत्व में एक और टीम बनाई गई.चूंकि लगभग 14000 कर्मचारी आमबी घाटी में लगे हुए हैं, इसलिए यह सुनिश्चित नहीं था कि जालंधर वहां काम कर रहा था या नहीं. पुणे ग्रामीण पुलिस के एसपी अभिनव देशमुख और एएसपी नवनीत कानवत ने भी अपना समर्थन दिया और जालंधर का पता लगाने के लिए ओडिशा पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस की एक संयुक्त टीम बनाई गई.
जांच के दौरान यह पाया गया कि उपनाम स्वाईं वाला एक व्यक्ति आमबी घाटी से लगभग 2.5 किलोमीटर दूर स्थित एक कर्मचारी आवास में रहता है. पुलिस ने सिविल ड्रेस में जगह का दौरा किया. पुलिस को देखते ही बीबन ने भागने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने धर-दबोच लिया. ओडिशा लाने के बाद के आगे की जांच की कार्रवाई जारी है. सीबीआई को सूचना दे दी गई है और मामले की आगे की जांच करने के लिए कोलकाता से एक जांच अधिकारी भी पहुंचे हैं.
उल्लेखनीय है कि 9 जनवरी, 1999 की रात को बारंग थाना क्षेत्र में महिला से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था. इस संबंध में एक शिकायत कटक महिला पुलिस स्टेशन में 10 जनवरी को दर्ज की गई थी और 12 जनवरी को ओडिशा अपराध शाखा मामले की जांच सौंपी गई थी.पुलिस 26 जनवरी को दो आरोपियों प्रदीप साहू उर्फ पडिया और धीरेंद्र मोहंती उर्फ टुनिया को गिरफ्तार करने में सफल रही थी. बाद में 26 फरवरी को, चूंकी मुख्य आरोपी बीबन फरार था, उड़ीसा उच्च न्यायालय ने मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया.सीबीआई ने 5 मई, 1999 को प्रदीप, धीरेंद्र और फरार आरोपी बीबेन के खिलाफ चार्जशीट पेश की. 29 अप्रैल, 2002 को खुर्दा जिला और सत्र न्यायाधीश महेंद्र नाथ पटनायक ने प्रदीप और धीरेंद्र को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई.उन्होंने उड़ीसा उच्च न्यायालय के समक्ष फैसले को चुनौती दी थी, हालांकि, न्यायमूर्ति एएस नायडू और सुभाष चंद्र परीजा की खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा. 24 जून, 2010 को अपने फैसले में, उड़ीसा उच्च न्यायालय ने मुख्य अभियुक्तों को गिरफ्तार करने में जांच एजेंसी की विफलता पर चिंता व्यक्त की थी.