संबलपुर। रेल मंत्रालय ने एक आश्चर्यजनक फैसला लेते हुए संबलपुर रेल मंडल के अधीन संचालित केरजंग रेलवे स्टेशन को खुर्दा रेल मंडल को हस्तांतरित कर दिया है। रेल मंत्रालय के इस फैसले के बाद संबलपुर में विरोध का स्वर उठने लगा है। लोगों का कहना है कि संबलपुर रेल मंडल के प्रयासों से ही केरजंग रेलवे स्टेशन का अस्तित्व सामने आया। अब जब यह स्टेशन वार्षिक 900 से 1000 करोड़ रुपये की आय करने लगा है तो इसे खुर्दा रेल मंडल में समाहित किया जाना, संबलपुर के स्वार्थ के साथ खिलवाड़ करने जैसी बात हो गई है। लोगों ने रेलवे प्रबंधन से अनुरोध किया है कि वह इस मसले पर गंभीरता से विचार करें और अपने फैसले पर पुनर्विचार करें। अन्यथा आनेवाले दिनों में इस फैसले के खिलाफ आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया जाएगा। संबलपुर से केरजंग रेलवे स्टेशन की दूरी 130 किलोमीटर है, जबकि खुर्दा से केरजंग की दूरी 200 किलोमीटर है। केरजंग स्टेशन के निकट जिंदल समेत कई नामी कंपनियों की औद्योगिक इकाइयां कार्य करती हैं। संबलपुर रेल मंडल 20 से 25 प्रतिशत राजस्व सिर्फ केरजंग स्टेशन से अदायगी करता था, किन्तु रेल प्रबंधन के इस फैसले संबलपुर रेल मंडल के माली हालत को भी बिगाड़ने का काम किया है। इन हालातों में विरोध का स्वर उठना लाजिमी है। इस फैसले के खिलाफ आनेवाले दिनों में लोग सड़कों पर उतरेंगे, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
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