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श्रीमंदिर के हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना को मंजूरी, गजब की होंगी व्यवस्थाएं…

  • एक जून से निर्माण कार्य होगा शुरू

  • भक्तों, सेवायतों और सुरक्षा कर्मियों के लिए उपलब्ध होंगी मौलिक सुविधाएं

हेमन्त कुमार तिवार, पुरी

महाप्रभु श्री जगन्नाथ के मंदिर के हेरिटेज कॉरिडोर के लिए राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना को श्रीमंदिर प्रबंधन समिति ने अंतिम मंजूरी दे दी है. कल समिति के अध्यक्ष गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव की अध्यक्षता में हुई बैठक में परियोजना के प्रस्तावित वास्तुशिल्प डिजायन को मंजूरी दी गई.

मसौदे के अनुसार, 75 मीटर के गलियारे के 55 मीटर के हिस्से को नो-पार्किंग और नो-व्हीकल मूवमेंट जोन घोषित किया जाएगा.

यह जानकारी श्री मंदिर मुख्य प्रशासक डॉ किशन कुमार ने बैठक के बाद मीडिया को दी. उन्होंने बताया कि महाप्रभु श्री जगन्नाथ के मंदिर के हेरिटेज कॉरिडोर के लिए राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना के प्रस्ताव के अध्यन के लिए दो कमेटियों का गठन किया गया था. एक कमेटी डिजायन समीक्षा कमेटी थी, तो दूसरी कमेटी तकनीकी सलाहकार कमेटी थी. तकनीकी सलाहकार कमेटी में संबंधित विभागों के विशेषज्ञ शामिल थे. इसके लिए डिजायन समीक्षा कमेटी की 18 बैठकें हुईं थी. इसके साथ-साथ तकनीकी कमेटी ने भी कई समीक्षा बैठकें कीं. इसके लिए कुल 50 बैठकें हुईं. इन बैठकों में तय किये प्रस्तावों को कल बैठक में रखा गया था, जिसको अनुमोदित कर दिया गया है.

नयी परियोजना में मुख्यतः चार विंदुओं पर ध्यान दिया गया है, जिसमें हेरिटेज कारिडोर, श्रीमंदिर रिसेप्शन सेंटर, मौलिक सुविधा केंद्र, अधिग्रहित मठों का विकास शामिल हैं.

पहला – हेरिटेज कारिडोर 75 मीटर में विकसित होगा. इसके लिए पश्चिम, दक्षिण और उत्तर भाग को नौ भागों में बांटा गया है. यहां विभिन्न सुविधाएं, आपदा के समय के लिए इमरजेंसी वाहन पहुंचने, कीर्तन आदि की व्यवस्थाएं होंगी.

कुल नौ भाग में छह भाग 55 मीटर के अंदर होंगे, जहां वाहन नहीं जा पायेंगे. चूंकि मंदिर के आसपास आवासीय इलाका है. इसलिए यहां लोगों को 55 से 75 मीटर के भीतर रास्ते की व्यवस्था होगी. लोगों और भक्तों की सुविधा के लिए बैट्री संचालित वाहन चलाये जायेंगे. जो घूमते रहेंगे और निःशुल्क होंगे. यह वाहन सबके लिए उपलब्ध होंगे.

दूसरे भाग में श्रीमंदिर रिसेप्शन होगा, जहां तीन व्यवस्थाएं होंगी, जहां दक्षिण-पूर्व में एमार मठ था, वहां चार मुख्य व्यवस्थाएं होंगी,

प्रथम – यहां छह हजार लोगों के लिए कतार में जाने की व्यवस्था होगी. संख्या इससे अधिक होने की स्थिति में भी एक अन्य व्यवस्था होगी, जहां दो हजार लोगों की व्यवस्था होगी.

द्वितीय – बाहर से आने वाले भक्तों की सुविधा के लिए क्लाक रूम और समान रखने की व्यवस्था होगी. इस केंद्र की सुविधा लगभग चार हजार परिवार के लिए होगी. यहां पूरी सेवा निःशुल्क उपलब्ध होगी.

तृतीय – श्रीमंदिर के दक्षिण, उत्तर, पूर्व में मौलिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी. यहां आने वाले भक्तों, सेवायतों और सुरक्षाकर्मियों के लिए शौलाचालय (पुरुष और महिला दोनों के लिए) की व्यवस्था होगी. इसके बाद हाथ-पैर धोने की व्यवस्था होगी.

चतुर्थ- उपरोक्त सुविधाओं के अलावा सबकी सुरक्षा के लिए भी बड़ी व्यवस्था होगी. सुरक्षा व्यवस्था के तहत चेकिंग की व्यवस्था होगी. लोगों की बढ़िया से जांच होगी.

तीसरे भाग में मौलिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी, जिसके तहत शौचालय के साथ-साथ भक्तों, सेवायतों और सुरक्षाकर्मियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था होगी, सूचना और दान केंद्र होंगे. क्लाक रूम होंगे. एटीएम की व्यवस्था होगी और स्वास्थ्य हेल्प डेस्क भी स्थापित किया जायेगा. इनके साथ ही आरक्षी सेवा केंद्र की व्यवस्था होगी.

नयी परियोजना में एक सांस्कृतिक मंडप बनाया जायेगा, जहां बैठकर 500 लोग सुबह के सयम संकीर्तन कर पायेंगे और वहां बैठने वाले भक्त श्रीमंदिर के नीलचक्र का सीधे दर्शन कर पायेंगे.

चौथा बिंदु मठों को लेकर है, जिसकी जमीन इस परियोजना के लिए अधिग्रहित की गयी है. जिन मठों में मंदिर हैं, उसका पुनर्विकास किया जायेगा. यह अधिग्रहण के समय तय हुआ है. दो मंदिर फाइनल हो चुके हैं, जिनमें बड़ा छाता और छावनी मठ के मंदिर हैं. इनको संपूर्ण रूप से पत्थर से बनाया जायेगा. ओडिशा सरकार अच्छे कलाकारों की मदद से इसको पूरा करेगी.

विभागयी अनुमोदनों के लिए 28 फरवरी से पहले होगा आवेदन

श्रीमंदिर प्रशासक किशन कुमार ने बताया कि इस परियोजना पर कार्य शुरू करने के लिए कुछ संबंधित विभागों के अनुमोदन की आवश्यकता होगी. इसके लिए सरकार की अनुमोदन के बाद मंदिर प्रशासन की स्वीकृतिक लेकर 28 फरवरी से पहले आवेदन कर दिया जायेगा. एक्ट के अनुसार संबंधित प्राधिकारों यहां अनुमोदन के लिए आवेदन किया जायेगा. पुरी-कोर्णाक विकास प्राधिकारण भी शामिल है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि आवेदन के बाद जल्द ही अनुमोदन मिल जायेगा. उन्होंने बताया कि तकनीकी सलाहकार कमेटी फिर 15 दिनों में पांच-छह बार बैठक करेगी और निविदाएं जारी होंगी और उम्मीद है कि एक जून से काम शुरू होगा.

80 फीसदी कार्य वर्कशाप में होगा

श्रीमंदिर में भक्तों की भीड़ को देखते हुए एक वर्कशाप बनाया जायेगा, जहां परियोजना के 80 फीसदी कार्य किये जायेंगे और उसके बाद 20 फीसदी कार्य मौके पर किया जायेगा. तकनीकी सलाहकार कमेटी समय-समय पर उचित निर्णय लेगी और उचित कदम उठायेगी.

जल्द पूरा होगा बाकी जमीन का अधिग्रहण

श्रीमंदिर के प्रशासक किशन कुमार ने बताया कि जमीन अधिग्रहण 85 फीसदी पूरा हो गया है और बाकी का अधिग्रहण भी जल्द ही पूरा होगा. संबंधित लोगों के साथ बातचीत चल रही है. उम्मीद है लोग सहयोग देंगे.

दो लाख भक्त कर पायेंगे सोना वेश के दर्शन

नयी परियोजना के पूरा होने बाद महाप्रभु श्री जगन्नाथ के सोना वेश के दर्शन लगभग दो लाख भक्त कर पायेंगे. नयी परियोजना में काफी जगह इसके लिए उपलब्ध होगा और सुविधाजनकर तरीके से लोग दर्शन कर पायेंगे. साथ ही रथयात्रा के दौरान तीनों रथ अपनी जगह पर ही रहेंगे.

उल्लेखनीय है कि 19 अक्टूबर 2109 को ओडिशा सरकार की कैबिनेट ने अबड़ा योजना के तहत 800 करोड़ रुपये की इस परियोजना को अनुमोदन दिया है.

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