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ओडिशा के कोटिया में कराया पंचायत चुनाव
भुवनेश्वर. ओडिशा सरकार को ठेंगा दिखाते हुए और सुप्रीम कोर्ट की नोटिस को भी दरकिनार करते हुए आंध्र प्रदेश अपनी रणनीति के तहत कोटिया में पंचायत चुनाव करा रहा है. हालांकि ओडिशा के कोरापुट के जिलाधिकारी ने विजयनगरम के समकक्ष को एक पत्र के जरिये सुप्रीम कोर्ट की नोटिस का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराने को कहा था, लेकिन वह नहीं माना.
आज चुनाव को लेकर कोटिया ग्राम पंचायत के पट्टांगी ब्लॉक के अंतर्गत पाटूसिरेनी में ग्रामीणों को पट्टांगी के बीडीओ और तहसीलदार ने चुनाव में भाग नहीं लेने के लिए काफी समझाया, लेकिन ग्रामीण भी नहीं माने. आज सुबह से मतदान केंद्रों पर लोगों को कतारबद्ध देखा गया.
आंध्र प्रदेश की पुलिस और मतदान अधिकारियों को कोटिया ग्राम पंचायत में तैनात किया गया था. पट्टांगी प्रखंड अध्यक्ष जगतज्योति पांगी ने कहा कि ओडिशा सरकार के विरोध के बावजूद आंध्र प्रदेश में शनिवार को ग्रामीण चुनाव हुए.
उल्लेखनीय है कि ओडिशा सरकार ने आंध्र प्रदेश सरकार को कोटिया में चुनावी प्रक्रिया को रोकने के लिए कहा था. ओडिशा सरकार द्वारा दायर अवमानना याचिका पर आंध्र प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट की नोटिस के बाद आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले के कलेक्टर को एक पत्र में कोरापुट कलेक्टर ने चुनाव कराने से रोकने के लिए कहा था.
सुप्रीम कोर्ट की नोटिस का हवाला देते हुए कोरापुट कलेक्टर अबदाल मुहम्मद अख्तर ने विजयनगरम के कलेक्टर एम हरि जवाहरलाल से मामले की उप-न्यायिक प्रकृति और शीर्ष अदालत की मौखिक टिप्पणियों पर विचार करने तथा कोटिया ग्राम के अंदर किसी भी योजना के साथ आगे बढ़ने से रुकने कथित तौर पर चुनाव न कराने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने कल आंध्र प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर यह बताने के लिए कहा था कि अगर वे (आंध्र) पंचायत चुनाव कराएंगे तो उनके खिलाफ अदालती कार्यवाही की अवमानना क्यों न की जाए.
सीमा विवाद को लेकर ओडिशा सरकार की दायर याचिक पर सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक नोटिस जारी की है. शीर्ष अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 19 फरवरी को तय की है.
राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के समक्ष इस मुद्दे के संबंध में शीघ्र सुनवाई के लिए भी प्रार्थना की थी, क्योंकि पड़ोसी राज्य ने 13 से 17 फरवरी के बीच कोटिया के तीन गांवों में ग्रामीण चुनाव कराने का फैसला किया है.
उल्लेखनीय है कि कोटिया ग्राम पंचायत में 27 छोटे आदिवासी बस्तियां हैं. यह लंबे समय से आंध्र प्रदेश और ओडिशा के बीच विवाद का एक हिस्सा रही हैं और दोनों राज्य इस क्षेत्र पर संप्रभु अधिकारों का दावा करते रहे हैं.