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किशन कुमार ने श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन कमेटी के अधिकारों का दिया हवाला
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जिलाधिकारी ने कहा- हर स्तर पर की जा रही है मसौदे की जांच
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कल होगी बड़ी बैठक, आयेगा कुछ बड़ा फैसला
प्रमोद कुमार प्रृष्टि, पुरी
राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) के पुरी श्री जगन्नाथ मंदिर को लेकर जारी किये गये मसौदे का विरोध शुरू हो गया है. मंदिर प्रशासन ने इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है और जिलाधिकारी ने कहा है कि सभी स्तरों पर जांच की जा रही है. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन कमेटी के मुख्य प्रशासक ने आज राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) से श्री जगन्नाथ मंदिर के लिए हेरिटेज बाय-लॉ के मसौदे को वापस लेने का अनुरोध किया है. एनएमए के सदस्य सचिव को लिखे अपने पत्र में मुख्य प्रशासक कृष्ण कुमार ने कहा है कि बड़े पैमाने पर भगवान के भक्तों और सेवायतों के हितों की रक्षा के लिए मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप संदर्भ के तहत मसौदा अधिसूचना को तुरंत वापस लें.
उन्होंने पत्र में लिखा है कि भगवान श्रीजगन्नाथ न सिर्फ ओडिशा अपितु देश -विदेश में फैले हिन्दुओं के आराध्य देवता हैं. मूल पीठ में वे ब्रह्मदारू की पूजा पाठ करते हैं. भक्त इनको विश्व के देवता के रूप में पूजते हैं. यह आस्था और विश्वास के केंद्र हैं. उन्होंने कहा है कि श्रीमंदिर और श्री जगन्नाथ से संबंधित सभी संपत्ति लैंड रिकार्ड में श्री जगन्नाथ प्रभु के नाम से दर्ज है. इन सबकी देखरेख करने के लिए श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन कमेटी का गठन किया गया है. यह ईकाई श्री जगन्नाथ टेंपल एक्ट 1955 (15 अक्टूबर 1955 को राषट्रपति की स्वीकृति से) के तहत बनायी गयी है. इसके बाद भारतीय पुरातत्व विभाग के साथ 22 अगस्त 1979 को मंदिर संरचना के संरक्षण के लिए एक समझौता किया गया. यह समझौता एएसआई को श्रीमंदिर के प्रति जिम्मेदारियों, विधिवद्ध और सीमित रखता है. चूंकि मंदिर हिन्दुओं का एक धाम है, इसलिए संरचना के तत्काल संरक्षण के लिए एएसआई को शामिल करने के लिए श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासनिक कमेटी राजी हुई.
इसके साथ-साथ किशन कुमार ने मंदिर प्रशासन की जिम्मेदारियों और जवाबदेहियों का हवाला देते हुए इस ड्राफ्ट को तत्काल वापस लेने का अनुरोध किया है और कहा है कि इसके बाद भी अगर आपको मूल पीठ की प्रकृति संरक्षण को लेकर लगता है कि इसके लिए आपको श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन कमेटी के सदस्यों को बुलाकर विचार-विमर्श करना चाहिए.
इस मामले में पुरी के जिलाधिकारी समर्थ वर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मसौदा बायलॉज, जो प्रकाशित किए गए हैं, राज्य सरकार, जिला प्रशासन, पुरी-कोणार्क विकास प्राधिकरण और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन कमेटी (एसजेटीए) के स्तरों पर जांच की जा रही है. जांच की रिपोर्ट और उन विचारों को एकत्र करने के बाद मैं इस पर बेहतर टिप्पणी कर सकता हूं. 18 फरवरी को समय सीमा दी गई है, हम सभी हितधारकों, यहां तक कि मंदिर के सेवादारों के साथ चर्चा कर रहे हैं.
बैठक कल
सूत्रों ने कहा कि एसजेटीए के मुख्य प्रशासक कृष्ण कुमार, पुरी एसपी, पुरी-कोणार्क विकास प्राधिकरण और अन्य अधिकारियों की अध्यक्षता में कल यहां एक आवश्यक बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) के मसौदे पर चर्चा की जायेगी.