-
पुरी श्रीजगन्नाथ मंदिर के बाहर 300 मीटर के दायरे में निर्माण, मरम्मत के लिए लेनी होगी अनुमति और साइनेज, होर्डिंग पर लगेगी रोक
-
पुरी श्रीजगन्नाथ मंदिर के लिए ड्राफ्ट हेरिटेज बाय-लॉ के लिए एनएमए ने सुझाव मांगा
इण्डो एशियन टाइम्स, ब्यूरो, भुवनेश्वर
पुरी स्थित महाप्रभु श्री जगन्नाथ के मंदिर के बाहर 300 मीटर की परिधि में स्थित किसी भी घर, दुकान, होटल, लाज या अन्य मठों में किसी भी प्रकार की निर्माण या मरम्मत करना असान नहीं होगा. इसके लिए पहले आपको राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) के प्राधिकार से अनुमति लेनी होगी. इतना ही नहीं अब घरों या दुकानों के बाहर सड़क पर सीढी नहीं निकाल सते हैं और ना ही किसी प्रकार की होर्डिंग-बैनर लगा सकते हैं. यह सभी निर्देश राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) के पुरी स्थित महाप्रभु श्रीजगन्नाथ मंदिर के लिए ड्राफ्ट हेरिटेज बाय-लॉ में दिये गये हैं. इस बाय-लॉ को लेकर आपत्ति या सुझाव 30 दिनों के अंदर सचिव, राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण, (संस्कृति मंत्रालय) 24, तिलक मार्ग नई दिल्ली के पास भेजने के लिए कहा गया है. लोग अपने सुझाव या आपत्ति को hbl-section@nma.gov.in पर ईमेल भी कर सकते हैं. आपत्ति या सुझाव निर्धारित के अंदर प्राप्त होने पर उस विचार किया जायेगा, अन्य समय बीतने के बाद उस पर गौर नहीं किया जायेगा.
राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) के ड्राफ्ट हेरिटेज बाय-लॉ के अनुसार, ड्राफ्ट हेरिटेज बाय-लॉ कुल सात अध्याय में है. पहले अध्याय में संक्षिप्त नाम, विस्तार, प्रारंभ और परिभाषा के बार में विंदुवार व्याख्या की गयी है. अध्याय दो में प्राचीन संस्मारक और पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम (एएमएएसआर) 1958 की पृष्ठभूमि का जिक्र है.
स्थानीय लोगों के लिए विरोध का केंद्र भी इसी अध्याय में शामिल है. इस अध्याय में अधिनियम की पृष्ठभूमि शीर्षक के तहत मार्गदर्शन दिया गया है. इसके तहत कहा गया है कि धरोहर उप-विधियों का उद्देश्य केंद्रीय संरक्षित स्मारकों की सभी दिशाओं में 300 मीटर के अंदर भौतिक, सामाजिक और आर्थिक दखल के बारे में मार्गदर्शन दिया गया है. इसमें 300 मीटर के दायरे को दो भागों में बांटा गया है. पहला प्रतिषिद्ध क्षेत्र है और दूसरा विनियमित क्षेत्र होगा. प्रतिषिद्ध क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र अथवा संरक्षित स्मारक की सीमा से शुरू होकर सभी दिशाओं में एक सौ मीटर की दूरी तक फैला है और विनियमित क्षेत्र प्रतिषिद्ध क्षेत्र की सीमा से शुरू होकर सभी दिशाओं में दो सौ मीटर की दूरी तक फैला हुआ है.
अधिनियम के उपबंधों के अनुसार, कोई भी व्यक्ति संरक्षति क्षेत्र और प्रतिषिद्ध क्षेत्र में किसी प्रकार का निर्माण अथवा खनन का कार्य नहीं कर सकता है, जबकि ऐसा कोई भवन अथवा संरचना जो प्रतिषिद्ध क्षेत्र में 16 जून, 1992 से पूर्व मौजूद थी अथवा जिसका निर्माण बाद में महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की अनुमति से हुआ था. विनियमित क्षेत्र में किसी भवन अथवा संरचना निर्माण, पुनःनिर्माण, मरम्मत अथवा नवीकरण की अनुमति सक्षम प्राधिकारी से लेना अनिवार्य है. इसमें दो विंदुओं में धरोहर उप-विधियों से संबंधित अधिनियम के उपबंध तथा आवेदक के अधिकार और जिम्मेदारियों का उल्लेख है.
अध्याय तीन में केंद्र सरकार द्वारा संरक्षित स्मारक -सर्वेक्षण प्लाट 1,2 और 3 जिला पुरी, ओडिशा में शामिल आस-आप के क्षेत्र के साथ श्री जगन्नाथ मंदिर और अनुषंगी पवित्र स्थरों के स्थान एवं अवस्थिति का उल्लेख है.
अध्याय चार में स्थानीय विकास योजना में मौजूदा क्षेत्रीयकरण पर प्रकाश डाला गया है. अध्याय पांच में प्रथम अनुसूची, नियम 21(1)/ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अभिलेखों में परिभाषित सीमाओं के आधार पर प्रतिसिद्ध और विनियमित क्षेत्र के कुल स्टेशन सर्वेक्षण के अनुसार जानकारी प्रदान की गयी है. इसमें क्षेत्रफल, मुख्य विशेषताएं, निर्मित क्षेत्र का विवरण,खुले स्थान, मार्ग, बाजार, दुकान, लाज, होटल आदि का उल्लेख है. साथ ही इमारत की ऊंचाई, सड़क संपर्क, सार्वजनिक सुविधाएं, स्माकर तक पहुंच, अवसंरचना, स्थानीय निकाय का जिक्र है. अध्याय छह में स्मारक का वास्कीय, ऐतिहासिक और पुरात्वीय महत्व पर प्रकाश डाला गया है. अध्याय सात में स्थल विशिष्ठ सिफारिशें की गयी हैं, जिसे लेकर भी विरोध हो रहा है. सेटबैक के तहत इमारत के सामने किनारे में मौजूदा गली लाइन का सख्ती से पालन किया जायेगा. न्यूनतम खुले स्थान की आवश्यकताओं को सेटबैक या आंतरिक आंगनों और छतों के साथ कायम रखे जाने की आवश्यकता है.
ड्राफ्ट में कहा गया है कि अनुमान (प्रोजेक्शंस) के तहत सड़क के बाधा मुक्त मार्ग के बाद भूमि स्तर पर किसी तरह की सीढ़ी या पट्टियों अनुमति नहीं दी जायेगी. सड़कों को वर्मान बिल्डिंग एड लाइन से मापने वाले बाधा मुक्त पथ के साथ निर्मित किया जायेगा. पट्टिकाएं (साइनेज) के तहत संरक्षित विरासत क्षेत्र में पट्टिका (साइनेज) के लिए एलईडी या डिजिटल संकेत, प्लास्टिक फाबर ग्लास या किसी अन्य उच्च परावर्तक सिंथेटिक सामग्री का उपयोग नहीं किया जा सकता है. बैनर की अनुमति नहीं हो सकती है. हालांकि विशेष कार्यक्रमों या मेले आदि के लिए इसे तीन दिनों से अधिक नहीं रखा जा सकता है. विरासत क्षेत्र के भीतर होर्डिंग्स, बिल के रूप में किसी भी विज्ञापन की अनुमति नहीं दी जायेगी. संकेतों को इस तरह रखा जाना चाहिए कि वे किसी भी विरासत संरचना या स्मारक के दृश्य को अवरुद्ध न करें और किसी पैदल यात्री को सामने से दिखाई दे. हाकर्स और विक्रेताओं को स्मारक की परिधि के आसपास अनुमति नहीं दी जा सकती है. कुछ अन्य सिफारिशें भी की गयी हैं.