अशोक पांडेय, भुवनेश्वर
प्रशंसनीय सामाजिक सेवाओं के लिए विजय खण्डेलवाल को मानद डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजा गया है. 12 सितंबर, 1960 को उत्तरप्रदेश के मथुरा के एक समृद्ध व्यावसायी परिवार में जन्मे तथा 1980 में अपने नये काारेबार के सिलसिले में ओडिशा कटक पधारे डा विजय खण्डेलवाल को मानद डॉक्टरेट की उपाधि से रॉयल अमेरिकन यूनिवर्सिटी ने कोलकाता में आयोजित एक विशेष दीक्षांत समारोह में उनकी उल्लेखनीय, प्रशंसीन तथा सराहनीय निःस्वार्थ सामाजिक सेवाओं को ध्यान में रखकर सम्मानित किया.
अपने स्वर्गीय पिता इन्द्रसेन गुप्ता तथा स्वर्गीय माता प्रभावती देवी को डा विजय खण्डेलवाल अपनी कामयाबी का रोल मॉडल मानते हैं तथा अपनी धर्मपत्नी बिमलेश देवी खण्डेलवाल उनके जीवन की असाधारण कामयाबी के एकमात्र प्रेरणास्त्रोत हैं. उनकी तीनों बेटियां कीर्ति, सुश्री श्वेता तथा सुश्री तनीषा उनके निःस्वार्थ समाजसेवा के लिए प्रेरणा हैं.
लगातार 2-2 बार कटक मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष रह चुके डाक्टर खण्डेलवाल का मानना है कि जीवन की बहुआयामी कामयाबी के लिए व्यक्ति के पास उसके आत्मविश्वास, सादगी,विनम्रता,सदाचारी जीवन,कार्य के प्रति लगन,उत्साह,त्याग तथा ऊंचे मनोबल आदि की जरुरत पड़ती है. इन सभी ने उनको इस मुकाम तक पहुंचाया है. समाजसेवा के क्षेत्र में मेरे कार्यों को रॉयल अमेरिकन यूनिवर्सिटी ने मानद डाक्टरेट की डिग्री के रूप में मान्यता प्रदान की है.
इस उपाधि के लिए विश्वविद्यालय के प्रति आभार जताते हुए खंडेलवाल ने कहा कि किसी भी कामयाब कारोबारी एवं उद्योगपति आदि के लिए उनका धन-दौलत ही उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा का एकमात्र आधार नहीं होता है, अपितु उसकी संवेदनशीलता,आत्मीयता तथा निःस्वार्थ समाजसेवा के प्रति वचनवद्धता आदि का विशेष महत्तव होता है. डाक्टर विजय खण्डेलवाल के अनुसार जिस व्यक्ति को बहुतायत लोग समाजसेवा के लिए अगर अच्छे नहीं कहें तो क्या फायदा? सच तो यह है कि डा विजय खण्डेलवाल एक सच्चे गो-भक्त, ब्राह्मण भक्त, जगन्नाथ भक्त तथा जनसेवक हैं. इनके सदैव हंसते हुए चेहरे से परोपकार छलकता है. डा विजय खण्डेलवाल के अनुसार यह पीएच.डी की मानद उपाधि उनके जीवन की कामयाबी की एक पड़ाव मात्र है. उन्हें तो इससे भी बहुत आगे तक जाना है. उनके चहेतों ने विजय खण्डेलवाल से डॉ विजय खण्डेलवाल बने निःस्वार्थ समाजसेवी को बहुत-बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं प्रेषित की है.