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संकट के समय एक हीरो ने की ऐसी सेवा
डाक्टर संजय कुमार बेहरा ने वैसे समय एक बड़ी मिशाल रची, जब कोरोना महामारी ने देश के साथ-साथ ओडिशा में जनजीवन की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया था. पढ़ते रहिए https://indoasiantimes.com/
सुधाकर कुमार शाही, कटक
डाक्टर संजय कुमार बेहरा ने वैसे समय एक बड़ी मिशाल रची, जब कोरोना महामारी ने देश के साथ-साथ ओडिशा में जनजीवन की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया था. हालांकि कई ऐसे भी थे, जिन्होंने दूसरों के लिए अपनी जान जोखिम में डाली. इनमें से एक डॉ संजय कुमार बेहरा शामिल हैं. एससीबी मेडिकल कॉलेज व अस्पातल में यह न्यूरोसर्जरी विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं. डॉ बेहरा ने लॉकडाउन के दौरान करीब सैकड़ों सर्जरी की. इससे रोगियों को गंभीर अवस्था से बचाया गया. डॉ संजय बेहरा एक प्रसिद्ध मस्तिष्क और रीढ़ के विशेषज्ञ हैं, जो कटक-भुवनेश्वर शहर में किसी भी अन्य न्यूरोसर्जन की तुलना में अधिक मामले करते हैं. डाक्टर होने के साथ-साथ सामाजिक सेवाओं के प्रति भी उनका झुकाव सराहनीय है. हेल्थकेयर सेक्टर में भी महामारी के दौरान उन्होंने गरीब रोगियों की मुफ्त 24 सर्जरी की है.
वह सतनिर्वाण लाइफकेयर फाउंडेशन नामक एक गैर-सरकारी संगठन के ट्रस्टी हैं, जो ग्रामीण स्वास्थ्य चिकित्सकों को ज्ञान आधारित कार्यक्रम और अन्य संसाधनों के साथ सहायता करने में काम करते हैं. वित्त वर्ष 2019- 20 में ट्रस्ट ने 18 निरंतर चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रमों का संचालन किया है. इन सबके अलावा डॉ बेहरा रोटरी क्लब ऑफ कटक गोल्डन स्टार से जुड़े हैं, जहां वे विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं. उन्होंने कहा कि चिकित्सक को कभी घबड़ाना चाहिए. विपरीत परिस्थितियों काम करने वालों को ही विशेषज्ञ कहा जाता है. उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को सेवा भाव रखनी चाहिए. गरीबों की निःस्वार्थ सेवा की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर एक भी व्यक्ति इलाज से वंचित रहता है तो स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए. उन्होंने सभी चिकित्सकों और इस क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों से गरीबों की सेवा करने का आह्वान किया. आज डाक्टर संजय एक डॉक्टर के साथ-साथ एक रोटेरियन और एक कोरोना हीरो भी हैं.
उल्लेखनीय है कि जब हम सभी मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और अपने हाथों को सेनिटाइज करने में लगे हुए थे, तो उस समय कई आपातकालीन सेवाओं की कमी के कारण लोग मर रहे थे. एक पुष्ट आंकड़े के अनुसार, लाकडाउन के दौरान प्रथम तीन महीनों में करीब 3400 रोगियों की मृत्यु अन्य चिकित्सा आपात स्थितियों की कमी से हुई.
विशेषज्ञों का कहना है कि ईएनटी सर्जन और न्यूरोसर्जन को रोगियों से वायरल संक्रमण होने का अधिक संदेह था. इसलिए डॉक्टर अपने दृष्टिकोण में अधिक सतर्क थे. ब्रेन स्ट्रोक या मस्तिष्क की चोट वाले रोगियों में समय सीमा का मायने रखता है. इन सबके बीच डॉ संजय बेहरा की सेवा शहर में चर्चा का विषय बनी रही.