भुवनेश्वर. प्रवासी पक्षियों के लिए स्वर्ग माने जाने वाली एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील चिलिका झील में आज से पक्षियों की गणना शुरू हो गई है. 1100 वर्ग किमी. में फैली इस चिलिका झील में हर साल लाखों की संख्या में विदेशी पक्षी आते हैं और हर साल उनकी गणना की जाती है, जो आज से शुरू हुई है.
चिलिका वन्य प्राणी विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक आज सुबह 6 बजे से पक्षियों की गणना शुरू हुई है. चिलिका वाइल्ड लाइन के अधिन आने वाले बालूगांव, रम्भा, सातपड़ा के साथ चिलिका में पक्षी गणना के लिए 21 टीम बनायी गई है. इसमें 111 सदस्य शामिल हैं. इस पक्षी गणना में विभिन्न स्वयंसेवी संगठन के सदस्यों को भी शामिल किया गया है. 21 टीम में से 19 टीम पानी के अंदर जाकर पक्षियों की गणना करेगी तो वहीं 2 टीम स्थल भाग में रहकर पक्षियों की गणना करेगी. पक्षी गणना को लेकर चिलिका डेवलेपमेंट अथारिटी (सीडीए) कार्यालय में एक प्रशिक्षण शिविर भी लगाया गया था. इसमें सदस्यों को किस प्रकार से पक्षियों की गिनती करनी है, उस संदर्भ में जानकारी दी गई है.
पूरी चिलिका तथा पक्षी अभयारण्य नलबण में आने वाली पक्षियों की प्रजाति एवं संख्या के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए यह गणना शुरू किए जाने की जानकारी बालूगांव वन्यप्राणी विभाग की तरफ से दी गई है.
मुख्य रूप से दो पद्धति में यह पक्षी गणना की जाती है. पहली पद्धति एकक पद्धति है. इसमें चिलिका में जहां भी कम संख्या में पक्षी दिखाई देते हैं वहां की संख्या के हिसाब से पक्षी संख्या एवं प्रजाति संख्या की गणना होती है. दुसरी पद्धति को ब्लाक पद्धति कहते हैं. इस पद्धति में जहां पर पक्षियों की गणना नहीं हो पाती है एवं भारी संख्या में पक्षी मौजूद रहते हैं, वहां पर बाइनाकुलर परिधि में दिखाई देने वाले पक्षियों को लेकर एक-एक ब्लाक बनाए जाते है. इस तरह से एकाधिक ब्लाक बनाकर पक्षियों की प्रजाति एवं संख्या को मिलाया जाता है.
गौरतलब है कि चिलिका झील में साइबेरिया, आस्ट्रेलिया, रूस, कनाडा, फ्रांस, ईरान, इराक और अफगानिस्तान आदि स्थानों से पक्षी आते हैं. पक्षियों का आगमन अक्टूबर से आरंभ होता है और वे फरवरी तक चिलिका में रहते हैं. यहां पक्षियों की अनगिनत प्रजातियों को इस दौरान देखा जा सकता है. यहां पक्षियों के झुंडों को देखना अपने आप में काफी रोमांचक अनुभव होता है.
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