संबलपुर. आईआईएम संबलपुर, ओडिशा के स्थायी परिसर के शिलान्यास समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आईआईएम सम्बलपुर का ध्येय मंत्र है- नवसर्जनम् शुचिता समावेशत्वम्। यानि इनोवेशन, इंटेग्रिटी और इन्क्लुसिवनेस, आपको इस मंत्र की ताकत के साथ देश को अपनी मैनेजमेंट स्किल दिखानी है. आपको नए निर्माण को तो प्रोत्साहित करना ही है, सभी के समावेश पर भी जोर देना है, जो विकास की दौड़ में पीछे छूट गया है, उसे भी साथ लेना है. जिस जगह पर आईआईएम का परमानेंट कैंपस बन रहा है, वहां पहले से मेडिकल यूनिवर्सिटी है, इंजीनियरिंग यूनिवर्सटी है, तीन और यूनिवर्सिटीज हैं, सैनिक स्कूल है, सीआरपीएफ औऱ पुलिस के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट हैं. जो लोग संबलपुर के बारे में ज्यादा नहीं जानते, वो भी अब अंदाजा लगा सकते हैं कि आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के बनने के बाद ये क्षेत्र कितना बड़ा एजुकेशन हब बनने जा रहा है. संबलपुर आईआईएम और इस क्षेत्र में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स-प्रोफेशनल्स के लिए सबसे खास बात ये होगी कि ये पूरा इलाका ही एक तरह से आपके लिए एक प्रैक्टिकल लैब की तरह है. ये जगह प्राकृतिक रूप से इतनी भव्य है, ओडिशा का गौरव हीराकुद बांध, आप से कोई ज्यायदा दूर नहीं है. बांध के पास डेबरीगढ़ सेंचुरी अपने आप में खास तो है ही, इसके बीच में वो पुण्य स्थान भी है जिसे बीर सुरेंद्र साई जी ने अपना बेस बनाया था. इस एरिया के टूरिज्म पोटेंशियल को और बढ़ाने के लिए यहां के स्टूडेंट्स के आइडियाज और मैनेजिरियल स्किल्स बहुत काम आ सकते हैं. ऐसे ही संबलपुरी टेक्सटाइल भी देश-विदेश में मशहूर है. ‘बांधा इकत’ फैब्रिक, उसका यूनिक पैटर्न, डिजायन और टेक्स्चर बहुत ही खास है. इसी तरह इस क्षेत्र में हैंडीक्राफ्ट का इतना काम होता है, सिल्वर फिलिग्री, पत्थरों पर नक्काशी, लकड़ी का काम, ब्रास का काम, हमारे आदिवासी भाई-बहन भी इसमें बहुत पारंगत हैं. आईआईएम के छात्र-छात्राओं के लिए संबलपुर के लोकल को वोकल बनाना, उनका एक अहम दायित्व है.
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