भुवनेश्वर. मुख्य सचिव असित त्रिपाठी ने गुरुवार, 31 दिसंबर को सरकारी सेवा में 34 साल पूरे करने के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से अवकाश ग्रहण कर लिया. राज्य के मुख्य सचिव के रूप में अपने विदाई भाषण में त्रिपाठी ने ओडिशा की सेवा करने के लिए शीर्ष नौकरशाहों को अवसर देने के लिए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि मैं अगस्त 2019 में ओडिशा के मुख्य सचिव के रूप में शामिल हुआ. पिछले 34 से 35 वर्षों तक एक आईएएस अधिकारी के रूप में मैं अपने करियर के अवकाश तक इस शीर्ष क्षमता पर मुझे नियुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति बहुत आभारी और खुश हूं. उन्होंने कहा कि जब मैं मुख्य सचिव के रूप में शामिल हुआ तो मैंने जोर दिया और कहा कि सरकार में फाइल तेज गति से आगे बढ़ेगी. इस बयान ने तब सुर्खियां बटोरी थीं. मुझे खुशी है कि मेरे सहयोगियों के सहयोग से फाइलें अटकी नहीं और गति के साथ काम किये गये. निवर्तमान मुख्य सचिव ने कहा कि इस अवधि के दौरान निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज थी, लेकिन अब भी नौकरशाही में सुधार की बहुत गुंजाइश है. उन्होंने कहा कि प्रक्रिया की पुनर्रचना के साथ सरकार कई क्षेत्रों में दक्षता लाएगी. पिछले नौ महीनों से हम एक महामारी का सामना कर रहे हैं, जो पिछले 100 वर्षों में मानवता नहीं देखी गई थी.
कोविद-19 का प्रभाव बड़े पैमाने पर है. विश्व स्तर पर निर्णय लेने वाले इस संकट से निपटने के लिए अपने दांव पर थे. हालांकि मुझे बहुत खुशी है कि हमारे मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में ओडिशा सरकार की सुनियोजित रणनीति ने राज्य को काफी हद तक महामारी का सफलतापूर्वक सामना करने में सक्षम बनाया. उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि हमारा स्वास्थ्य ढांचा अंतर्राष्ट्रीय मानकों का नहीं था. हम मेट्रो शहरों के मानक के बराबर होने का दावा नहीं कर सकते. फिर भी यह गर्व की बात है कि हमारे डॉक्टरों ने बड़ी की खूबी से स्थिति का सामना किया. उन्होंने कहा कि देश के कई राज्यों में चिकित्सकों के समक्ष कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा. कई राज्यों में बेड और वेलंटिलेटर की समस्याएं देखने को मिली, लेकिन सौभाग्य से ओडिशा सरकार की योजना, अग्रिम और समन्वित रणनीति के कारण हमने कभी इस तरह के संकट का सामना नहीं किया. हम संगठित तरीके से अस्पतालों, बेड, उपचार और परीक्षण का प्रबंधन करने में सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि ओडिशा में कोई भी मरीज, जिसे इलाज की जरूरत थी, उसे अस्पतालों से लौटना नहीं पड़ा. राज्य में कोविद उपचार सभी के लिए नि:शुल्क किया गया, जो अपने आप में एक उपलब्धि है. इसके अलावा, पंचायती राज संस्थाओं, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ियों ने इस अवसर पर अपनी क्षमता को साबित किया है. हालांकि इस दौरान दुर्भाग्य से 100 से अधिक कोविद योद्धाओं ने कर्तव्य की पंक्ति में अपना जीवन खो दिया है. सरकार की ओर से हमने उनके परिवारों को 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता और अन्य लाभ प्रदान किए हैं.
इस संकट की चपेट में आने के बावजूद हमारी सरकार एक विकास और परिवर्तनकारी एजेंडे के साथ काम कर रही थी. उदाहरण के लिए जमीन के म्यूटेशन में सालों लग जाते थे, लेकिन राजस्व विभाग ने इस प्रक्रिया को बदल दिया है और अब सात दिनों के साथ म्यूटेशन किया जा सकता है. हमने नागरिक केंद्रित सरकारी सेवा को ऑनलाइन उपलब्ध कराया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के स्तर से लेकर विभाग के सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों तक हम ऑनलाइन सेवाओं की प्रभावशीलता पर उपयोगकर्ताओं (आम जनता) को कॉल करके प्रतिक्रिया लेते थे. लोगों से मिले इनपुट के आधार पर कोर्स-करेक्शन पर असर पड़ा. इसी तरह, पर्यटन में ओडिशा कई इको-रिट्रीट स्थापित करने में सक्षम रहा है. कोविद के दौरान भी हम जंगल कैंप और रिट्रीट बनाने में सक्षम रहे हैं जो लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय रहे हैं और पर्यटन को बढ़ावा देते हैं.