संबलपुर : हाईब्रिड, रोग प्रतिरोधी और जलवायु-सहिष्णु विशेषताओं के कारण किसान हाईब्रिड बीज के उपयोग करने की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं । हालांकि, कुछ मामलों में प्रजनन के दौरान संकर बीज अपनी गुणवत्ता को खो देता है, जिससे किसानों को हर साल हाईब्रिड बीज खरीदने के लिए मजबूर करता है। परिणाम स्वरूप वित्तीय बोझ आ पड़ता है। किसान के संकट का जवाब स्वदेशी बीजों में है, जो साल दर साल उसी गुणवत्ता को बनाए रखने में हैं।
कोन्ड्रुम को साकार करते हुए एमसीएल अपने सीएसआर के तहत एक अग्रणी परियोजना लेकर आया है, जिसमें सीमांत किसानों को विकसित, संरक्षण और स्वदेशी बीज बैंकों की सहायता की जा रही है। इस उत्कृष्ट उपक्रम में एमसीएल के साथ साझेदारी करना ‘ग्राम समृद्धि ट्रस्ट’ है, जो कृषि विकास के क्षेत्र में काम करने वाली एक स्वैच्छिक संस्था है। देसी बीज घर ’के रूप में नामित, परियोजना देसी बीजों की खेती और संरक्षण के लिए समर्थन प्रदान करेगी और बीज बैंकों के माध्यम से साथी किसानों को उत्पाद के विपणन के लिए एक इको-सिस्टम बनाएगी। बीज विज्ञान विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में वैज्ञानिक मानकों का पालन करते हुए किसान उच्च गुणवत्ता वाले बीजों को उगाएंगे। बीज बैंक स्थापित किए जाएंगे जो बीज उत्पादकों द्वारा संचालित किए जाएंगे। परियोजना को हेमगिर ब्लॉक, सुंदरगढ़ जिले में लागू किया जाएगा। कुल मिलाकर 200 किसानों को स्वदेशी बीजों के संरक्षण के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
दिनांक 28-12-2020 को निदेशक (कार्मिक) की उपस्थिति में एमसीएल और ग्राम समृद्धि ट्रस्ट के बीच उक्त् परियोजना के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं ।
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