-
गरीब और मध्यम वर्ग हुआ परेशान
-
विक्रेताओं के पास सही जवाब नहीं
भुवनेश्वर. कोरोना के कारण तंग जेब पर अब महंगाई मार पड़ने लगी है. महंगाई ने लोगों के खाने का जायका बिगाड़ दिया है. खाने से आइटम धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं. महंगाई के कारण गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार परेशान हो गया है. प्याज और आलू की बढ़ती कीमत काफी बढ़ गयी है. ओडिशा की राजधानी के बाजारों में अलग-अलग दर देखने को मिले हैं. यहां प्याज 60-70 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. भिंडी 40 से 45 रुपये प्रति किलो, करैला 80 रुपये, फूल गोभी 30-50, बंदा गोभी 40-50 रुपये प्रति किलो बिक रही है. पालक 10 प्रति बंडल तथा चौराई साग 20 रुपये में तीन बंडल बिक रहा है. पपीता 40-45 रुपये किलो बिक रहा है. बिंस 60 और कैप्सिकम 50-60, गाजर 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. कच्चा केला 10 से 15 रुपये प्रति केला बिक रहा है. काकरोल 50 से 55 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. मूली (तीन पीस का बंडल) 20 रुपये में बिक रही है. खीरा 60 किलो बिक रहा है. लोगों के लिए सबसे अधिक जरूरत वाला आलू 45-50 प्रति किलो बिक रहा है. पटल 60, लौकी 40, कुम्हड़ा 40, बरबट्टी 40-60, हरा मटर 180, बैगन 40, चिचिंडा 50-60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. धनिया पत्ता 300 रुपये प्रति किलो, हरी मिर्च 200 रुपये प्रति किलो तथा टमाटर 40-50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. इधर, खरीददारों ने बढ़ती कीमत पर नाराजगी जतायी है तथा सरकार को दोषी ठहराया है. बढ़ती हुई कीमत के बारे में खुदरा विक्रेताओं को भी कुछ भी स्पष्ट पता नहीं है. उनका कहना है कि दाम चाहे जो हो, वह खरीदकर लाते हैं और ग्राहकों को बेचते हैं. इसमें कभी कभार वह उस समय फंसते हैं, जब दाम अधिक होने के कारण लोग उस सब्जी को नहीं खरीदते हैं. इससे वह सब्जी सड़ने लगती है और दुकानदार की लागत डूब जाती है.