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छठ पूजा को लेकर राज्य सरकार के दिशा-निर्देश पर छठ व्रतियों का फूटा गुस्सा

  • कहा-चुनाव हो सकते हैं, तो छठ पूजा क्यों नहीं?

  • छठ पूजा के हजारों साल की परंपरा को तोड़ रही बीजद सरकार – महिला छठव्रती

  • कटक महानगर छठ पूजा समिति ने की दिशा-निर्देश में संशोधन की मांग

कटक. आस्था का महापर्व छठ पूजा आज नहाए खाए के साथ शुरू होने जा रहा है. 20 नवंबर को शाम का अर्घ्य भगवान सूर्य को अर्पित किया जायेगा और 21 नवंबर की सुबह अर्घ्य देने के साथ ही इस पर्व का समापन होगा. इस साल सरकार ने लोगों से घरों में ही छठ पूजा करने को कहा है. 16 नवंबर को राज्य सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार यह आदेश दिया गया है कि सभी छठ व्रतियों अपने-अपने घरों में छठ पूजा करना होगा एवं कोविद-19 के नियमों कानून का पालन सुनिश्चित करना होगा. इस दिशानिर्देश के आने के बाद कटक में रह रहे उत्तर भारतीयों में काफी निराशा देखने को मिली है. साथ ही महिलाओं में गुस्सा भी देखने को मिला है. महिलाओं का कहना है कि सरकार नियमों में संशोधन कर अभी भी छठ पूजा नदी के किनारे करने की अनुमति प्रदान करे. क्योंकि यह पूजा साक्षात भगवान सूर्य और प्रकृति की पूजा है. शुरू से यही परंपरा है कि उगते हुए सूर्य एवं डूबते हुए सूर्य को नदी के पवित्र में पानी खड़ा होकर अर्घ्य दिया जाता है, लेकिन सरकार के निर्देश से गुस्साए महिलाओं का कहना है कि बिहार हो या ओडिशा, जब कोरोना काल में चुनाव हो सकता है तो छठ पूजा पर पाबंदी क्यों? हालांकि यह सवाल सिर्फ कुछ महिलाओं की नहीं है, बल्कि शहर में रह रहे कई सामाजिक संगठनों ने भी सवाल खड़ा किया है. इस संदर्भ में कुछ महिलाओं एवं पुरुष ने कटक महानगर छठ पूजा समिति के अध्यक्ष शैलेश कुमार वर्मा से बात करते हुए कहा कि किसी भी तरह छठ पूजा का आयोजन छठ घाट पर ही कराया जाए. हालांकि कटक महानगर छठ पूजा समिति ने पहले ही मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक छठ पूजा नहीं करने का निर्णय लिया था. लेकिन भक्तों की पुकार को सुन कटक महानगर छठ पूजा समिति ने कटक के जिलाधिकारी भवानी शंकर चयनी से मिलकर ज्ञापन के माध्यम से दिशा-निर्देश में संशोधन कर छठ पूजा कराने का अनुमति मांगी है. साथ ही कटक के डीसीपी एवं सीएमसी कमिश्नर से मिलकर इस संदर्भ में बातचीत की जाएगी. यहां एक सवाल और उठ रहा है कि जो व्यक्ति मध्यम वर्गीय हैं और किराए के मकान में एक कमरे के मकान में रह कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं, भला उस जगह पर छठ पूजा का आयोजन कैसे किया जाएगा. क्या सरकार उन गरीबों की फरियाद को सुनेगी या उनके लिए छठ पूजा के लिए व्यवस्था जुटा पाएगी. छठ व्रतियों में भगवती देवी, ज्योति देवी, जानकी देवी, उषा देवी साह, उर्मिला देवी साह, प्रमिला देवी, राजकुमारी देवी, राजश्री देवी, शिखा देवी, पुष्पा देवी साह, गीता देवी साह, मीना देवी, सीता देवी, माली देवी, बबीता देवी, बसंती देवी, टिकना देवी, अनीता देवी कमलावती देवी साह, लीला देवी, लीलावती देवी साह, सरोज देवी, गंगा देवी ने कहा कि प्रशासन अगर चाहे तो कोविद-19 के नियमों कानून का पालन करते हुए छठ पूजा का आयोजन छठ घाट पर करा सकती है. इधर छठी मैया के भक्तों ने भी कहा है कि सोशल डिस्टेंस एवं मास्क का प्रयोग कर पूरे नियम एवं कानून के साथ छठ पूजा का आयोजन करेंगे. हालांकि कुछ छठ भक्तों ने सरकार के दिशा निर्देश का स्वागत भी किया है, लेकिन उनका भी कहना है कि जो परंपरा हजारों साल से चली आ रही है. सरकार उसको कमोबेश नियम कानून के दायरे में रखकर छठ घाट पर छठ पूजा करने का पुनः दिशा निर्देश पारित करे.

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