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प्रो अच्युत सामंत ने सत्य, अहिंसा तथा त्याग  के मार्ग पर आजीवन चलने का संकल्प लेकर मनायी गांधी जयंती

अशोक पाण्डेय, भुवनेश्वर

कोरोना के संक्रमण को ध्यान में रखकर दो अक्टूबर की सुबह कीट-कीस के प्राण प्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद व सच्चे गांधीवादी प्रो अच्युत सामंत ने गांधीजी की मूर्ति पर माल्यार्पाण कर गांधी जयंती मनाई. अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने बताया कि वे बचपन से ही सत्य, अहिंसा और त्याग के मार्ग के पथ पर चलकर असाधारण कामयाबी के शून्य से शिखर पर पहुंचे हैं. अनुशासित जीवन ने उनको असाधारण ऊर्जा प्रदान की तथा उनके बाल्यकाल की घोर गरीबी ने उनको गांधीजी के विचारों पर चलने की प्रेरणा प्रदान की. वे गांधीजी के सत्य, अहिंसा तथा भौतिक सुखों को त्यागकर अपने उच्च मनोबल के बल पर 192-93 में दो विश्व विख्यात कीट-कीस की स्थापना की, जो आज द्वय डीम्ड विश्वविद्यालय बन चुके हैं. कीट तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र तथा दूसरा विश्व का सबसे प्रथम तथा बड़े आदिवासी आवासीय विश्वविद्यालय के रुप में. सच्चे अर्थों में भारत में अगर गांधीजी सही मायने में अमर हैं, तो वह शैक्षिक संस्थान कीस ही है जहां पर प्रतिवर्ष तीस हजार से भी अधिक आदिवासी बालक-बालिकाएं निःशुल्क अध्ययनरत होकर स्वावलंबी बनकर आत्मनिर्भर भारत को नई दिशा प्रदान कर रहे हैं.  गांधी जयंती के अवसर पर देश के बालकों तथा युवाओं को प्रो अच्युत सामंत ने गांधीजी को आदर्शों पर चलकर आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में पूर्ण सहयोग देने का संकल्प लें.

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