बिटिया दिवस पर विशेष
प्रिये ! तेरे संग मृदुलित,
शैशव मैं जीना चाहती हूँ,
स्मृतियों की मधुर हाला,
बेसुध हो पीना चाहती हूँ !!
मेरे इस छोटे-से दामन में,
इक प्रीति-पुष्प खिल गया,
आराधना हो गई जब पूर्ण,
प्रभु का प्रसाद मिल गया !!
देवी जैसे हैं नयन तुम्हारे,
अधरों पर भोली मुस्कान,
नन्हे हाथों की तालियों में,
गूँज उठते वेद-मंत्र गान !!
परियों की तू है शहजादी,
हँसे तो कुसुम बिखर जाए,
गर रूठ जाती लाडो रानी,
आँसू मोतियन बरस जाए !!
तेरी मनभावन किलकारी,
घर-मन्दिर का पावन नाद,
रोली-मोली, अक्षत-चंदन,
दीया-बाती में नेह अगाध !!
मैं ये ना खाऊँ, वो ना खाऊँ,
माता करती सौ-सौ मनुहार,
यहाँ ना जाऊँ , वहाँ ना जाऊँ,
मनमर्जी बच्चों का अधिकार !!
जननी का उदास मुखड़ा देख,
कोमल कर प्यार से सहलाते,
‘मैं तो तेरी बिटिया रानी हूँ’,
गलबहियाँ डालकर बहलाते !!
सबसे अनमोल यह रिश्ता,
है ईश्वर की अनुपम सौगात,
बिना कहे ही समझ ले दोनों,
एक-दूसरे के मन की बात !!
उम्र के पायदानों पर चढती,
अब नये सपने सजने लगे,
दर्पण में निहारे निज छवि,
हृदय मधुर गीत बजने लगे !!
आत्मनीड़ की सोन चिरैया,
यूँ ही सदैव चहचहाती रहो,
नीलाभ अम्बर को छूकर भी,
अंगना में प्रेम बरसाती रहो !!
वात्सल्य की छाँव है घनेरी,
धूप कभी झुलसाने ना पाए,
पुष्प-पराग हो लाडली मेरी,
वसंत कण-कण में छा जाए !!
तेरे रूप-स्वरूप में बचपन,
मेरा लौट आए फिर एक बार,
गुड़िया की विरासत गुड़िया,
सुन्दर सृष्टि-चिरंतन आधार !!
✍️ पुष्पा सिंघी , कटक