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सावधान! कहीं आपकी अचल संपत्ति भी तो बैंक में गिरवी नहीं…

  • लोन के फर्जीवाड़े में पंजाब नेशनल बैंक का वरिष्ठ प्रबंधक गिरफ्तार

  • अपराध शाखा की आर्थिक अपराध शाखा ने एक व्यापारी को भी धर-दबोचा

  • ऋण लेने के लिए दाखिल किया था फर्जी केवाईसी

  • फर्जी गारंटरों को पेशकर बनाया लोन के दस्तावेज

भुवनेश्वर. अगर आप अचल संपत्ति के मालिक हैं, तो सावधान! कहीं आपकी अचल संपत्ति भी तो किसी बैंक में गिरवी नहीं है. जी हां! अपराध शाखा की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की एक कार्रवाई ने यह सवाल खड़ा कर दिया है. दरअसर, इस कार्रवाई के दौरान पाया गया है कि फर्जी केवाईसी और फर्जी गारंटर पेशकर करके मृत व्यक्ति समेत तीन लोगों की अचल संपत्ति को बैंक में बतौर गिरवी रख दिया गया है. इस फर्जीवाड़े में बैंक का वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल पाया गया है.

अपराध शाखा की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने मंगलवार को पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के एक वरिष्ठ प्रबंधक और एक व्यापारी को 2.5 करोड़ रुपये की ऋण धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया है. गिरफ़्तार किए गए लोगों की पहचान पीएनबी के वरिष्ठ प्रबंधक-सह-आकलन अधिकारी, जयदेव विहार शाखा के श्रीकांत प्रसाद प्रृष्टि और केपी सॉल्यूशंस के प्रोपराइटर काली प्रसाद मिश्र, नागेश्वर टांगी के रूप में बतायी गयी है.

विभाग की ओर जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 406/420/467/468/471/120 (बी) के तहत गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों को अदालत में भेजा जा रहा है. बताया जाता है कि पीएनबी, भुवनेश्वर सर्किल प्रमुख परेश कुमार दास की लिखित शिकायत के आधार पर 14 सितंबर, 2020 को ऋण धोखाधड़ी के संबंध में एक मामला दर्ज किया गया था.

लिखित शिकायत में यह आरोप लगाया गया है कि केपी सॉल्यूशंस के प्रोप्राइटर आरोपी मिश्र ने बैंक अफसरों के साथ मिलकर टाइलें, सेनेटरी आइटम और इलेक्ट्रॉनिक सामान की थोक बिक्री और खुदरा व्यापार के लिए 2.5 करोड़ रुपये का नकद ऋण (सीसी) लोन लिया था. इसके लिए तीन गारंटरों की संपत्ति को गिरवी रखी थी, जिन्होंने पूछताछ के दौरान दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने और संपत्तियों को ऋण के लिए बंधक के रूप में रखने से इनकार कर दिया.

ईओडब्ल्यू ने कहा कि जांच के दौरान यह पता चला है कि आरोपी मिश्र ने तीन गारंटरों के नाम पर बिजली बिलों और मतदाता पहचान पत्रों सहित फर्जी नो योर कस्टमर (केवाईसी) दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था, जिन्हें ऋण के लिए गारंटरों समझा गया था. यह सब 2017 में हुआ था. संपत्ति मधुपाटना, कटक में दिखायी गयी है, जबकि तथ्य यह है कि लोन की स्वीकृति से तीन साल पहले गारंटरों में से एक की मौत वर्ष 2014 के दौरान हो चुकी थी.

ऋणदाता के साथ आपराधिक साजिश में तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधक, पीएनबी, बापूजी नगर शाखा के अभियुक्त प्रृष्टि ने जाली दस्तावेजों को स्वीकार करते हुए गारंटरों की सत्यापित पहचान का उल्लेख करते हुए 2.5 करोड़ रुपये की भारी-भरकम सीसी ऋण स्वीकृत करने की सिफारिश की थी. साथ ही गारंटियों की पहचान और हस्ताक्षर को भी प्रमाणित किया था, जबकि वह जानते थे कि ये असली गारंटर और संपत्ति के मालिक नहीं हैं. इससे बैंक को भारी नुकसान हुआ है. प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि अब ऋण के रूप में 267.33 लाख रुपये का बकाया है. मामले की आगे की जांच चल रही है.

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