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आजीविका सहायता के लिए 300 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा
भुवनेश्वर. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बाढ़ से प्रभावित किसानों को आजीविका सहायता के लिए 300 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा की है. अगस्त महीने के अंतिम सप्ताह के दौरान लगातार बारिश के कारण बाढ़ से विभिन्न जिलों में खड़ी फसलों को काफी नुकसान हुआ है. इससे प्रभावित किसानों और अन्य लोगों की पीड़ा को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने आजीविका सहायता के लिए कई पैकेजों की घोषणा करने का निर्णय लिया है.
कृषि क्षेत्र में मिलेगी सब्सिडी
कृषि इनपुट सब्सिडी उन छोटे और सीमांत किसानों को प्रदान की जाएगी, जिनकी 33% फसल क्षतिग्रस्त हुई होगी. ऐसे वर्षा-सिंचित या गैर सिंचित क्षेत्रों में 6,800 रुपये प्रति हेक्टेयर तथा सुनिश्चित सिंचाई के तहत क्षेत्रों के लिए 13,500 रुपये प्रति हेक्टेयर और सभी प्रकार की बारहमासी फसलों के लिए 18,000 रुपये प्रति हेक्टेयर प्रदान किया जायेगा. बारहमासी फसलों में आम, काजू, नारियल, केवड़ा, सुपारी आदि फसलें शामिल होंगी. वास्तविक प्रभावित किसानों को यह सहायता प्रदान की जाएगी.
किसी भी प्रभावित किसान को कृषि इनपुट सब्सिडी बारहमासी फसलों के लिए 2000 रुपये तथा अन्य फसलों के लिए एक हजार रुपये से कम नहीं होगी. रबी-2020 के दौरान बाढ़ प्रभावित किसानों को 20,000 पल्स सीड मिनीकिट प्रदान किए जाएंगे. आगामी रबी सीजन में प्रभावित जिलों में 60,000 एकड़ में विभिन्न फसलों के लिए प्रदर्शन कार्यक्रम किए जाएंगे.
2,000 पंप सेट 50% सब्सिडी के साथ
2,000 पंप सेट 50% सब्सिडी के साथ (अधिकतम 15,000 रुपये तक) प्रदान किए जाएंगे. 5,000 विद्युत स्प्रेयर बाढ़ प्रभावित किसानों को 50% की सब्सिडी पर उपलब्ध होंगे. बैटरी चालित स्प्रेयर के लिए अधिकतम 3000 रुपये और हाथ से संचालित स्प्रेयर के लिए 600 रुपये तक सब्सिडी सीमित होगी.
एक लाख किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण
एक लाख किसानों को रबी फसलों में उत्पादन बढ़ाने के लिए एक लाख एकड़ जमीन को कवर करने के लिए बीज उपचार रसायन/जैव कीटनाशकों की मुफ्त आपूर्ति के साथ बीज उपचार कार्यक्रम पर प्रशिक्षित किया जाएगा. रबी सीजन के लिए पर्याप्त मात्रा में गुणवत्ता प्रमाणित बीजों की व्यवस्था और वितरण के लिए तत्काल कदम उठाए जाएंगे. प्रमाणित गुणवत्ता वाले बीजों पर लगभग 75% अधिक अनुदान के साथ किसानों को विशेष सहायता प्रदान की जाएगी. प्रभावित जिलों को 10 करोड़ रुपये की कृषि मशीनीकरण सब्सिडी दी जाएगी. फसल नुकसान के आकलन के लिए शीघ्र कदम उठाए जाएंगे और फसल बीमा योजना के तहत मध्य मौसम प्रतिकूलता को रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे. एक लाख किसानों को किचन गार्डन के माध्यम से अपनी तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए पालक, बीन्स, ग्वारपाठा, टमाटर, मिर्च और मूली आदि की सब्जी की किट प्रदान किया जाएगा. इसकी दर 130 रुपये प्रति किट होगी. 75,000 किसानों को 10 प्रकार के तेजी से बढ़ने वाले पौधे, जैसे पपीता, केला और ड्रमस्टिक फलों को बाढ़ प्रभावित जिलों में किसानों को 160 रुपये की दर पर उपलब्ध कराया जायेगा. बाढ़ प्रभावित किसानों और डब्ल्यूएसएचजी की आजीविका सहायता के लिए 10,000 मशरूम इकाइयों के नवीकरण के लिए प्रति यूनिट शेड नेट/थेटेड संरचना के लिए 500 रुपये प्रति यूनिट प्रदान किया जाएगा.
फार्म क्रेडिट – लघु खरीफ ऋण मध्यम अवधि (रूपांतरण) ऋण में परिवर्तित होगा
33% और उससे अधिक की फसल हानि वाले खाद्य प्रभावित क्षेत्रों में उन्नत लघु खरीफ ऋण को मध्यम अवधि (रूपांतरण) ऋण में परिवर्तित किया जाएगा. प्रभावित क्षेत्रों में मध्यम अवधि (रूपांतरण) ऋण में रूपांतरण की सुविधा अधिकतम 30 सितंबर 2022 (एक साल) तक बढ़ाया जाएगा. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 01.10.2020 से शुरू होने वाले रबी सीजन के दौरान खेती के लिए नया वित्त प्रदान किया जाएगा.
पशु संसाधन विकास क्षेत्र के लिए पैकेज
पशुओं के प्रतिस्थापन के लिए दुधारू गाय और भैंस के लिए 30,000 प्रति पशु प्रदान किया जाएगा. अन्य पशुओं के लिए 25,000 (तीन जानवरों तक), 16,000 रुपये प्रति बछड़ा (छह पशुओं तक) 3000 रुपये प्रति बकरी (30 पशुओं तक) तथा 50 रुपये प्रति पाउट्री बर्ड (अधिकतम 5000 रुपये) प्रदान किये जायेंगे.
मत्स्य क्षेत्र को सहायता
मछली किसानों (मीठे पानी/ब्रैकिश पानी) को क्षतिग्रस्त तालाबों या डाइक्स की मरम्मत के लिए प्रति हेक्टेयर 12,200 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी. क्षतिग्रस्त मछली बीज फार्म की डी-सिल्टिंग/बहाली/ मरम्मत के लिए इनपुट सब्सिडी 8200 रुपये प्रति हेक्टेयर दी जाएगी.
हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र को नकद राहत
प्रतिस्थापन उपकरण/उपकरण के लिए 4100 रुपये प्रति बुनकर/हस्तशिल्प कारीगर को सहायता प्रदान की जाएगी. तथा कच्चे सामान, प्रक्रियाधीन सामान तथा तैयार माल के नुकसान के एवज में 4100 रुपये प्रति बुनकर या हस्तशिल्प कारीगर को प्रदान किया जायेगा.
रोजगार सृजन पर होगा जोर
एक बार बाढ़ का पानी उतरने के बाद मनरेगा के तहत काम तेज हो जाएगा. ग्राम पंचायतों में सड़कों, खेल के मैदान, नहरों, मिट्टी के बांध, बकरी शेड, गोशाला और चारा की खेती की मरम्मत और रखरखाव जैसे कार्यों पर ध्यान दिया जाएगा.