भुवनेश्वर. कोरोना संकट के समय प्रवासी श्रमिक सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. राज्य के बाहर लगभग 10 लाख श्रमिक विभिन्न कार्यों में नियोजित थे. कोरोना के कारण विभिन्न संस्थाओं के बंद होने के कारण अब प्रवासी श्रमिक अपने-अपने गांवों में हैं. ऐसे में राज्य सरकार ने उन्हें रोजगार देने के लिए आश्वासन दिया था. अब सरकार उसे पूरा करे. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महासचिव गोलक महापात्र ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि रोजगार न होने के कारण इन प्रवासी श्रमिको का फिर से पलायन शुरु हो गया है, लेकिन इसके बाद भी राज्य सरकार न उनकी पहचान कर रही है और न ही उन्हें किसी प्रकार के कार्य दे रही है. सुप्रीम कोर्ट ने इन प्रवासी श्रमिकों के स्किल मैपिंग के लिए कहा था, लेकिन राज्य सरकार इसे लागू नहीं कर रही है, जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में किस जिले से कितने मजदूर आये थे और कितने मजदूर फिर से वापस चले गये हैं, इसकी कोई सूची राज्य सरकार के पास नहीं है. लेकिन राज्य सरकार रोजगार देने की बात कर लोगों को गुमराह कर रही है.
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