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छह वर्षों से 5 लाख 80 हजार से अधिक पौधे किसानों, विद्यार्थियों एवं विभिन्न संस्थानों को निःशुल्क उपलब्ध कराया
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आय के एकमात्र स्रोत पेंशन के पैसे से चला रही है नर्सरी
बड़बिल. ओडिशा प्रदेश की प्रकृति सौन्दर्य, खनिज संपदा का भंडार कहा जानेवाला केन्दुझर जिला को एक ओर जहां राज्य सरकार जिला के खान-खादान, कल-कारखानों और इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर वन-जंगल की कटाई, नदियों का दोहन कर सरकारी खजाने को सुसज्जित कर रहे हैं, वहीं इसी भूमि के वृक्ष मानव के नाम से पूरे प्रदेश में परिचित प्रकृति प्रेमी रमेश चंद्र मिश्र जिला को हराभरा करने और पर्यावरण संतुलन के लिए प्रयासरत हैं. बिना सरकारी अनुदान के पिछले छह वर्षों से जिला के विभिन्न सुदूर इलाकों में किसानों, विद्यार्थियों और संस्थाओं के बीच पौधों का वितरण, वृक्ष से लाभ एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रोत्साहित करते देखे गए हैं. एक शिक्षक के रूप में जीवन आरंभ कर, बाद में बैंक सेवा और रिटायरमेंट के बाद वृक्षों के प्रति समर्पित रमेश चंद्र मिश्र पिछले छह वर्षों से अभियान चला रहे हैं. अपने पैतृक गांव जांगीरा में अखिल विश्व गायत्री परिवार के वृक्ष गंगा अभियान के अंतर्गत वर्ष 2015 से अभियान की शुरुआत की, जो वर्तमान में भी जारी है. पिछले छह वर्षों से निरंतर अथक परिश्रम से जहां ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी, युवा, कृषक परिवार मिश्र की सेवा से प्रभावित हो लोगों को जागरूक करने में मदद कर रहा है, वहीं राज्य सरकार एवं विभिन्न संस्थानों के द्वारा रमेश चंद्र को देर सवेर सम्मानित कर उनकी कार्य क्षमता को प्रोत्साहित किया गया है. प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित, राज्य सरकार द्वारा प्रकृति बंधु से सम्मानित रमेश चंद्र मिश्र का अपनी प्रकृति के साथ जुड़ाव होने के बारे में कहना है कि बैंक की सेवा में रहते हुए भी वह पर्यावरण संरक्षण एवं पेड़-पौधों के लिए समय निकाल लिया करता था. सेवा से अवसरप्राप्त होने के बाद वर्ष 2015 में वृक्ष गंगा अभियान के तहत जंगीरा ग्राम में एक नर्सरी आरंभ कर 30 हजार पौधे उगाए और 6 हजार पौधे सरकार से खरीदकर जनसाधारण और विद्यालयों के बच्चों के बीच वितरण किया. इसी प्रकार वर्ष 2016 और 17 में क्रमशः 50 हजार,6 हजार और 70 हजार पौधे उगाए और 5 हजार पौधे खरीदे. पौधों की बढ़ती मांग को देखते हुए वर्ष 2018 में गायत्री परिजन रत्नाकर महंतो की सहायता से जिला के तोरानीपोखरी ग्राम में एक और नर्सरी का आरंभ करते हुए एक लाख दस हजार, 2019 में एक लाख तीस हजार और वर्तमान वर्ष में एक लाख पैंतीस हजार सागवान, साल, काजू, अनार, अमरूद, लीची, नींबू, चीकू सहित अनेक प्रकार के औषधीय पौधों, जामुन आंवला, नीम, अशोक, करंज, हरे, बहेड़ा, अर्जुन जैसे 41 प्रकार के पौधों का चारा तैयार कर पौधारोपण अभियान को आंदोलन का रूप देने का प्रयास जारी है और इस ईश्वरीय योजना में जिला के सभी गायत्री परिवार के सदस्यों का भरपूर सहयोग रहा है. उक्त अभियान के तहत पौधारोपण किया जाना ही मात्र उद्देश्य नहीं है, वरन् पौधा लेने वाले लोगों से पौधे की संपूर्ण देखरेख के लिए एक संकल्प पत्र हस्ताक्षर के साथ लिया जाता है और वन महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन कर सबसे ज्यादा पौधों को संरक्षित करने वाले व्यक्ति और संस्थान को सम्मानित भी किया जाता है. मिश्रा का कहना है कि एक वृक्ष प्राण वायु, वायु प्रदूषण नियंत्रण एवं भूमि की उत्पादकता वृद्धि, भूमिरक्षण नियंत्रण, जल संरक्षण, पशु पक्षियों का आश्रय, लकड़ी, फल, चारा उपलब्ध करा औसतन पचास वर्ष में, अनुदान के रूप में हमें प्रदान कराती है.