
भुवनेश्वर. कोविद-19 के विरुद्ध लड़ाई में देशभर में विभिन्न सेवाओं के कोरोना योद्धाओं ने अपनी भूमिका निभायी. इसमें रेलवे कर्मचारियों, विशेषकर महिला रेलकर्मियों, जैसे लोको पायलट, स्टेशन मास्टर, गार्ड, टोकन पोर्टर, तकनीशियन, टिकट कलेक्टर, आरपीएफ कर्मियों ने पूर्ण समर्पण और निष्ठा के अग्रिम पंक्ति में खड़ी होकर कोरोना के खिलाफ संघर्ष में अपना योगदान दिया.
देशव्यापापी लॉकडाउन के दौरान 22 मार्च, 2020 से देशभर में अपनी यात्री सेवाएं रद्द कर दी, लेकिन इस अवधि के दौरान, मालवाही व पार्सल ट्रेन की सेवा निरंतर जारी रही, जिसके माध्यम से देश के कोने-कोने तक अत्यावश्यक सामग्रियों का परिवहन सुनिश्चित किया गया. इसके साथ ही विभिन्न जगहों पर फंसे कामगारों, यात्रियों, विद्यार्थियों आदि को उनके गंतव्य तक पहुंचाने तथा लोगों की अत्यावश्यक यात्रा को सुनिष्चित करने के लिए श्रमिक व विशेष यात्री ट्रेनों का परिचालन किया गया. इन ट्रेनों के परिचालन में महिला रेलकर्मियों ने अग्रिम पंक्ति में खड़ी होकर अपनी सेवाएं दी.

एक ओर जहां लोको पायलट, स्टेशन मास्टर व गार्ड के रूप में प्रत्यक्ष रूप में, तो वहीं दूसरी ओर गैंग वूमेन, सुपरवाइजर, हेल्पर, तकनीशियन, इलेक्ट्रिशियन, कैरिज स्टाफ, गेट कीपर के रूप में ट्रैक, वैगन, ओवरहेड इक्विपमेन्ट, कोच रख-रखाव, सिग्नल रख-रखाव जैसे दुष्कर कार्यों के क्रियान्वयन में अपनी महती भूमिका निभायी. इन महिला कर्मियों ने इन दुरूह परिस्थितियों में भी अपने अथक प्रयास से ट्रेनों को परिचालन जारी रखा.
इनमें आरपीएफ महिलाकर्मी, टिकट चेकिंग व सफाई में लगीं महिला कर्मचारियों ने स्टेशनों पर कोविड संबंधी सुरक्षात्मक प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने में सीधे तौर पर अपनी भूमिका निभायी. इसके अलावा महिला रेलकर्मियों ने ट्रेनों की सुरक्षा, स्टेशन गश्त और लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों के बीच भोजन वितरण में भी हिस्सा लिया और दिन-रात यात्रियों की संरक्षा व सुरक्षा के लिए काम किया. इन कठिन परिस्थितियों में भी महिला रेलकर्मियों ने अपनी सेवा के प्रति गहरी निष्ठा दिखायी और उनका प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा.
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