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नववर्ष पर रात 2 बजे खुलेगा पुरी श्रीमंदिर का द्वार

  •     द्वारफिटा और पाहिली भोग की समय-सारिणी तय

  •     एसजेटीए प्रमुख अरविंद पाढ़ी ने दी जानकारी

पुरी। नववर्ष के अवसर पर पुरी श्रीमंदिर के द्वार 1 जनवरी को रात 2 बजे खोले जाएंगे। यह जानकारी श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने सोमवार को दी। उन्होंने बताया कि मंदिर की दैनिक एवं विशेष रस्मों की समय-सारिणी को अंतिम रूप देने के लिए हुई अहम बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है।

रात 11 बजे होगा रात्रि पाहुड़ा

एसजेटीए प्रमुख के अनुसार, 31 दिसंबर की रात 11 बजे भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की रात्रि पाहुड़ा की जाएगी। इसके बाद 1 जनवरी की तड़के लगभग 2 बजे द्वारफिटा अनुष्ठान संपन्न होगा। उन्होंने बताया कि पाहिली भोग की समय-सारिणी पहले ही तय कर ली गई है और सभी अनुष्ठान निर्धारित परंपरा के अनुसार ही किए जाएंगे।

श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की विशेष व्यवस्था

31 दिसंबर और 1 जनवरी को श्रद्धालुओं को बैरिकेड के बाहर से ही दर्शन करने की अनुमति होगी। दर्शन के लिए प्रवेश केवल सिंहद्वार से कराया जाएगा, जबकि अन्य तीन द्वारों से निकासी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि भीड़ प्रबंधन सुचारु रूप से किया जा सके।

परंपरा के अनुसार ही होंगे सभी अनुष्ठान

अरविंद पाढ़ी ने कहा कि रात 11 बजे पाहुड़ा और तड़के 2 बजे द्वारफिटा का निर्णय पूरी तरह निर्धारित रस्मों के अनुरूप लिया गया है। पिछले वर्ष 31 दिसंबर 2024 को भगवान का पाहुड़ा रात 10:25 बजे हुआ था और द्वारफिटा रात 1 बजे। इस वर्ष भी परंपरा और अनुशासन को ध्यान में रखकर समय तय किया गया है। उन्होंने सभी सेवायतों और पालिया सेवायतों से सहयोग की अपील की।

अंग्रेजी नववर्ष का मंदिर परंपरा से कोई संबंध नहीं

एसजेटीए प्रमुख ने स्पष्ट किया कि पुरी श्रीमंदिर की परंपरा में अंग्रेजी नववर्ष की कोई अवधारणा नहीं है। श्रद्धालुओं की भगवान जगन्नाथ से गहरी भावनात्मक आस्था है और मंदिर प्रशासन की जिम्मेदारी है कि पाहिली भोग के दौरान सभी को सुव्यवस्थित और सुरक्षित दर्शन उपलब्ध कराए जाएं।

31 दिसंबर से 4 जनवरी तक विशेष सतर्कता

अरविंद पाढ़ी ने बताया कि 31 दिसंबर से 4 जनवरी 2026 तक का समय मंदिर प्रशासन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन पांच दिनों के दौरान सुरक्षित, सुचारु और निर्बाध दर्शन सुनिश्चित करने के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जाएंगी।

जल्द पाहुड़ा को लेकर पहले उठे थे सवाल

गौरतलब है कि देवताओं के जल्द पाहुड़ा को लेकर पहले विभिन्न वर्गों से आपत्तियां भी सामने आई थीं और परंपरा में बदलाव को लेकर चिंता जताई गई थी। हालांकि, श्रीमंदिर प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि सभी अनुष्ठान पूर्व-निर्धारित समय-सारिणी और सदियों पुरानी परंपराओं के अनुरूप ही संपन्न किए जाएंगे, ताकि नववर्ष के दौरान व्यवस्था, सुरक्षा और परंपरा तीनों का संतुलन बना रहे।

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