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बीजद के स्थापना दिवस पर खुलकर सामने आई अंदरूनी सियासत

  •     नेतृत्व, एकजुटता और भविष्य तय करने को लेकर दिखे तीखे संदेश

  •     कहीं पांडियन दंपती का जोरदार समर्थन, कहीं ‘दोहरी सत्ता’ पर चेतावनी

  •     तो कहीं नवीन पटनायक से सक्रिय भूमिका की अपील

हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर। 

बीजू जनता दल के स्थापना दिवस का मंच इस बार केवल उत्सव और संकल्प का नहीं, बल्कि आत्ममंथन, असहमति और संदेशों का भी साक्षी बना। चुनावी हार के बाद पहली बार पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, सांसदों, पूर्व विधायकों और युवा संगठनों ने खुलकर अपनी बात रखी।

कटक और भुवनेश्वर में जहां कुछ नेताओं ने खुले मंच से पराजित नेताओं को कठघरे में खड़ा किया, वहीं कई नेताओं ने पार्टी की कमजोर पड़ती एकजुटता पर चिंता जताई। पांडियन दंपती को लेकर समर्थन और विरोध के सुरों के बीच एक बात स्पष्ट रही कि बीजद के भीतर भविष्य की दिशा तय करने की जद्दोजहद तेज हो चुकी है।

प्रभात बिस्वाल का तीखा हमला

कटक में आयोजित स्थापना दिवस समारोह में पूर्व विधायक प्रभात बिस्वाल का भाषण सबसे अधिक चर्चा में रहा। खुले मंच से उन्होंने पार्टी के उन नेताओं को निशाने पर लिया, जो चुनाव हारने के बावजूद संगठनात्मक मामलों में दखल दे रहे हैं।

बिस्वाल ने बॉबी, देवी, अतनु, प्रताप और संजय जैसे नेताओं का नाम लेते हुए कहा कि चुनाव में पराजय के बाद उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों तक सीमित रहना चाहिए और अनावश्यक रूप से पार्टी के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे न केवल भ्रम फैलता है, बल्कि संगठनात्मक मजबूती भी कमजोर होती है।

जीते हुए विधायकों को मिले जिम्मेदारी

उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने इन नेताओं को यह बात कई बार व्यक्तिगत रूप से समझाई है, लेकिन इसके बावजूद हस्तक्षेप जारी है। बिस्वाल ने सवाल उठाया कि जब पार्टी के करीब 50 विधायक जीतकर आए हैं, तो जिम्मेदारी उन्हीं को दी जानी चाहिए, ताकि संगठन सुचारू रूप से चल सके।

29 मई की साजिश का जिक्र, पांडियन की भूमिका को बताया निर्णायक

प्रभात बिस्वाल ने कथित 29 मई की साजिश का जिक्र करते हुए कहा कि यह मुद्दा अभी खत्म नहीं हुआ है और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच आज भी चर्चा में है।

उन्होंने दावा किया कि प्यारीमोहन महापात्र और वीके पांडियन ने पार्टी में अहम योगदान दिया है और कहा कि 2019 में बीजद पांडियन की कोशिशों की वजह से ही सरकार बना पाई थी।

उन्होंने साफ तौर पर कहा कि 2019 में बीजद की सरकार बनने में वीके पांडियन और उनकी टीम की बड़ी भूमिका रही। बिस्वाल के अनुसार, पांडियन ने एक प्रतिष्ठित आईएएस सेवा छोड़कर जनता और पार्टी की सेवा का रास्ता चुना, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

सुजाता कार्तिकेयन सम्मान मिलना चाहिए

उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि पांडियन के साथ किसी तरह का अन्याय होता है, तो वह उसका खुलकर विरोध करेंगे। साथ ही उन्होंने सुजाता कार्तिकेयन के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्होंने लाखों महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने का काम किया है और उन्हें इसका सम्मान मिलना चाहिए।

प्रफुल्ल घड़ेई ने जताई चिंता, एकजुटता में आई दरार पर जोर

वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल घड़ेई ने पार्टी की मौजूदा स्थिति पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि चुनावी हार के बाद बीजद की एकजुटता पहले जैसी मजबूत नहीं रही है। घड़ेई ने साफ शब्दों में कहा कि पार्टी किसी एक गुट या समूह के भरोसे नहीं चल सकती। सभी को साथ लेकर चलने की जरूरत है, तभी संगठन फिर से खड़ा हो सकेगा।

नवीन से अधिक सक्रिय भूमिका निभाने की अपील

उन्होंने पार्टी अध्यक्ष नवीन पटनायक से इस दौर में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की। उनके अनुसार, शीर्ष नेतृत्व की स्पष्ट दिशा और मार्गदर्शन से ही पार्टी के भीतर भरोसा और अनुशासन बहाल हो सकता है।

कौन है, कौन नहीं से ऊपर संगठन की मजबूती

प्रफुल्ल घड़ेई ने यह भी कहा कि पार्टी से कौन जुड़ा है और कौन अलग हो गया, यह सबसे बड़ा मुद्दा नहीं है। असली चुनौती यह है कि चुनावी पराजय के बाद जो टूट-फूट दिख रही है, उसे कैसे रोका जाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान नेतृत्व को उन लोगों को भी साथ लेने की कोशिश करनी चाहिए, जो किसी कारणवश पार्टी से दूर हो गए हैं। तभी बीजद एक मजबूत क्षेत्रीय दल के रूप में दोबारा उभर सकेगी।

युवा और छात्र संगठनों का स्पष्ट रुख, नवीन पटनायक सर्वोच्च

पार्टी के भीतर चल रही चर्चाओं के बीच बीजद के युवा और छात्र संगठनों ने स्पष्ट संदेश दिया कि पार्टी में अंतिम निर्णय का अधिकार केवल नवीन पटनायक का है। युवा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष चिन्मय साहू ने प्रतीकात्मक उदाहरण देते हुए कहा कि नवीन पटनायक उनके लिए सर्वोच्च मार्गदर्शक हैं और कार्यकर्ता पूरी निष्ठा से उनके फैसलों का पालन करेंगे। उन्होंने सुजाता कार्तिकेयन को एक सक्षम और शिक्षित महिला बताते हुए कहा कि उनके योगदान पर सवाल उठाना उचित नहीं है। उनके अनुसार, यदि पार्टी अध्यक्ष कोई फैसला लेते हैं, तो उस पर किसी तरह की असहमति की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।

महिला नेतृत्व पर छात्र संगठन का समर्थन

छात्र संगठन की अध्यक्ष इप्सिता साहू ने भी महिला नेतृत्व की संभावना का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि ओडिशा में पहले से ही महिलाएं महत्वपूर्ण संवैधानिक और प्रशासनिक पदों पर हैं। उनका कहना था कि यदि नवीन पटनायक पार्टी की जिम्मेदारी किसी महिला को सौंपते हैं, तो छात्र संगठन पूरी मजबूती से उनके साथ खड़ा रहेगा।

मुन्ना खान की चेतावनी, दोहरी सत्ता नहीं चलेगी

राज्यसभा सांसद मुन्ना खान ने बिना नाम लिये वीके पांडियन पर परोक्ष हमला किया। उन्होंने कहा कि पार्टी में किसी भी तरह की समानांतर सत्ता या पर्दे के पीछे से नियंत्रण स्वीकार नहीं किया जाएगा। मुन्ना खान ने स्पष्ट किया कि बीजद केवल और केवल नवीन पटनायक के नेतृत्व में ही चलेगी। उन्होंने बीजू पटनायक के शासनकाल का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय जवाबदेही तय होती थी और जनता के खिलाफ काम करने वालों को सजा मिलती थी। उन्होंने यह भी कहा कि साजिश करने वालों को जवाबदेह बनाया जाएगा।

स्थापना दिवस आत्ममंथन और दिशा तय करने का मंच बना

बीजद का स्थापना दिवस इस बार केवल जश्न का नहीं, बल्कि आत्ममंथन और दिशा तय करने का मंच बन गया। नेताओं के बयानों से साफ है कि पार्टी के भीतर मतभेद भी हैं और अपेक्षाएं भी। अब यह पूरी तरह नवीन पटनायक के नेतृत्व पर निर्भर करता है कि इन विरोधाभासी स्वरों को किस तरह संतुलित कर बीजद को दोबारा संगठित और मजबूत बनाया जाए।

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