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राज्यपाल ने नवजातों के पोषण, देखभाल और सुरक्षा पर दिया बल

  •     कहा- बच्चे के लिए पहला 1000 दिन जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काल

भुवनेश्वर। ओडिशा के राज्यपाल डॉ हरी बाबू कम्भमपाटी ने कहा है कि पृष्ठभूमि या परिस्थिति कोई भी हो, प्रत्येक नवजात को उचित पोषण, देखभाल और सुरक्षा मिलनी चाहिए। वे भुवनेश्वर में आयोजित इंफैंट एंड यंग चाइल्ड फीडिंग चैप्टर के 15वें राष्ट्रीय सम्मेलन तथा इंडियन ह्यूमन मिल्क बैंकिंग एसोसिएशन के 11वें राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

राज्यपाल ने अपने संबोधन में सम्मेलन के विषय “कल की विरासत का उत्सव मनाना: सतत नवजात और शिशु आहार तथा स्तनपान प्रथाओं को अपनाना” पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह विषय एक अत्यंत महत्वपूर्ण संदेश देता है। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र का स्वास्थ्य, बौद्धिक क्षमता और जीवटता उसके भावी नागरिकों को दिए जाने वाले पोषण और देखभाल पर निर्भर करती है।

उन्होंने आगे कहा कि बच्चे के लिए पहला 1000 दिन जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काल होता है, जो शारीरिक विकास, मस्तिष्क विकास और आजीवन स्वास्थ्य की नींव रखता है। जब हम नवजात और शिशुओं के पोषण में निवेश करते हैं, तो यह केवल चिकित्सा का विषय नहीं होता, बल्कि समाज के भविष्य का निर्माण होता है। राज्यपाल ने कहा कि मां के दूध की हर बूंद केवल पोषण नहीं, बल्कि प्रेम, रोग-प्रतिरोधक क्षमता और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है, जिसे कोई विज्ञान दोहरा नहीं सकता।

राज्यपाल ने यह भी कहा कि भारत ने नवजात और शिशु मृत्यु दर को घटाने में उल्लेखनीय प्रगति की है। फिर भी कुपोषण, जागरूकता की कमी और सामाजिक बाधाएं अब भी सर्वोत्तम आहार प्रथाओं में बाधक बनी हुई हैं। उनका समाधान केवल चिकित्सा या देखभाल में नहीं, बल्कि शिक्षा, सशक्तिकरण और संवेदनशीलता के माध्यम से समुदाय स्तर पर लाना होगा। इस दिशा में स्वास्थ्यकर्मी परिवर्तन के प्रेरक के रूप में अहम भूमिका निभाते हैं।

निःस्वार्थ अपना दूध दान करने वाली माताओं की सराहना की

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों का मार्गदर्शन माताओं और परिवारों में आत्मविश्वास पैदा कर सकता है, जिससे स्तनपान और संतुलित पोषण सार्वभौमिक आदत बन सके। साथ ही, राज्यपाल ने उन माताओं की सराहना की, जो निःस्वार्थ भाव से अपने दूध का दान कर अन्य शिशुओं को पोषण प्रदान करती हैं। यह उनकी ममत्व, करुणा और साझा मातृत्व की भावना का परिचायक है और वे समाज के सर्वोच्च सम्मान की पात्र हैं।

राज्य ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की

राज्यपाल ने कहा कि ओडिशा सदैव ऐसा राज्य रहा है जो सहभागिता और सामूहिक कल्याण को प्राथमिकता देता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, पोषण पुनर्वास केंद्रों और समुदाय आधारित कार्यक्रमों के माध्यम से राज्य ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने सभी से अपील की कि इस दिशा में हम सबको अपनी साझी प्रतिबद्धता को और सुदृढ़ करना चाहिए।

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