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मास्टरमाइंड शंकर पृष्टि ने पिछली सरकार का नाम लिया
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1,000 करोड़ रुपये के सौदे का दावा
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विदेश भागने के प्रयास करते समय भारत-नेपाल सीमा के पास उत्तराखंड में हुआ गिरफ्तार
भुवनेश्वर। ओडिशा पुलिस सब-इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती घोटाले के कथित मास्टरमाइंड शंकर पृष्टि की गिरफ्तारी के बाद नया रहस्य पैदा हो गया है। उन्होंने इस घोटाले से संभावित राजनीतिक संबंधों का संकेत दिया है।
पंचसॉफ्ट टेक्नोलॉजीज के मालिक शंकर पृष्टि को शनिवार देर रात भारत-नेपाल सीमा के पास उत्तराखंड में उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वह कथित तौर पर विदेश भागने की तैयारी कर रहा था। नई दिल्ली में गिरफ्तारी ज्ञापन और पारगमन औपचारिकताएं पूरी होने के बाद पृष्टि को रविवार सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच भुवनेश्वर के बीजू पटनायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ले जाया गया। फिर उन्हें पूछताछ के लिए सीधे कटक ले जाया गया।
रविवार सुबह भुवनेश्वर लाए जाने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए पृष्टि ने चुप रहने से पहले पिछली सरकार के बारे में एक रहस्यमयी टिप्पणी की। एक और चौंकाने वाली बात यह रही कि उन्होंने संभवतः संकेत दिया कि नौकरी बिक्री घोटाला 1,000 करोड़ रुपये का था।
पृष्टि ने मीडिया से कहा कि पिछली सरकार के दौरान अगर मैंने आत्मसमर्पण नहीं किया होता, तो 1,000 करोड़ रुपये का सौदा नहीं होता। यह घोटाला मैंने नहीं, बल्कि षड्यंत्रकारियों ने किया था। मेरे पास सारे सबूत हैं और मुझे कानून पर पूरा भरोसा है। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन “पिछली सरकार” का जिक्र करने से इस बात की अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या वह बीजू जनता दल (बीजद) सरकार के कार्यकाल के दौरान राजनीतिक संलिप्तता की ओर इशारा कर रहे थे।
उन्होंने आगे कहा कि वह राज्य के अधिकारियों के साथ “सभी सबूत” साझा करना चाहते हैं और सभी 124 आरोपियों की गहन जांच की मांग की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह पूरे मामले में शामिल नहीं थे।
पृष्टि और मुना मोहंती आमने-सामने
गिरफ्तारी के बाद पृष्टि को कटक स्थित अपराध शाखा मुख्यालय ले जाया गया और सह-आरोपी मुना मोहंती के साथ उनसे पूछताछ की गई, जिन्हें पहले पाँच दिनों की रिमांड पर लिया गया था।
सूत्रों ने पुष्टि की है कि, अंतिम रिपोर्टों के अनुसार, सीबीआई जांचकर्ता उनके बयानों में विसंगतियों का पता लगाने के लिए आमने-सामने पूछताछ जारी रखे हुए थे।
डिजिटल सबूतों की भी जांच जारी
अपराध शाखा के अधिकारी व्हाट्सएप रिकॉर्ड, बैंक लेनदेन और एन्क्रिप्टेड चैनलों के माध्यम से साझा की गई संदिग्ध फाइलों सहित डिजिटल सबूतों की भी जांच कर रहे हैं। माना जा रहा है कि दोनों आरोपी ओडिशा पुलिस भर्ती बोर्ड (ओपीआरबी) द्वारा आयोजित एसआई भर्ती परीक्षा में हेराफेरी के मुख्य आरोपी थे।
पृष्टि ने आरोपों से किया इनकार
बढ़ते सबूतों के बावजूद पृष्टि ने कहा है कि उन्हें झूठा फंसाया जा रहा है। उन्होंने मुना मोहंती या अन्य आरोपियों से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया और कहा कि उन्होंने गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए पहले ही ओडिशा उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय दोनों से संपर्क किया है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि ये सभी आरोप निराधार हैं। मुझे अदालत पर पूरा भरोसा है और मुझे जल्द ही ज़मानत मिल जाएगी।
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