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कुआखाई और महानदी के तट पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
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गूंजे छठ गीतों से भक्तिमय हुआ वातावरण
भुवनेश्वर। आस्था और श्रद्धा के चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा का समापन मंगलवार सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ हुआ। सोमवार शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद आज प्रातःकाल श्रद्धालु महिलाओं ने अपने परिवार की सुख-समृद्धि और समाज के कल्याण की प्रार्थना करते हुए व्रत का समापन किया।
इस दौरान कुआखाई नदी, महानदी तट सहित अन्य घाटों पर हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। महिलाओं के साथ परिवारजन पारंपरिक वेशभूषा में दीपक, ठेकुआ, केला और अन्य प्रसादों से सजी पूजा के सूपों के साथ सूर्य देव को प्रणाम कर अर्घ्य देते दिखाई दिए। चारों ओर छठ गीतों की गूंज, बजते मांदर-ढोल और जलते दीपों की आभा ने पूरे वातावरण को भक्ति और उत्साह से भर दिया।
भुवनेश्वर प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों ने सुरक्षा और व्यवस्था की विशेष तैयारी की थी। घाटों पर पुलिसकर्मियों, दमकल और स्वास्थ्यकर्मियों की टीम रातभर तैनात रही ताकि किसी श्रद्धालु को असुविधा न हो। श्रद्धालुओं की अनुशासित भीड़ और भावनाओं ने इस पर्व को और भी विशेष बना दिया।
चार दिन तक चले इस पर्व का हर चरण, नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य, भक्ति, संयम और निष्ठा का प्रतीक रहा। सूर्य उपासना का यह पर्व न केवल प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है, बल्कि यह परिवार, समाज और संस्कारों को जोड़ने वाला एक अनूठा लोक उत्सव बन चुका है।
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