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एम्स भुवनेश्वर वीआरडीएल को वायरल डायग्नोस्टिक्स और रिसर्च में सिल्वर अवॉर्ड

  •  बेहतरीन काम के लिए भारत सरकार ने किया सम्मानित

  •  50 से ज्यादा तरह के वायरल इन्फेक्शन समेत 20,000 से ज्यादा मरीजों को मुफ्त डायग्नोस्टिक सर्विस दी

भुवनेश्वर। एम्स भुवनेश्वर की वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी (वीआऱडीएल) को वायरल डायग्नोस्टिक्स में डायग्नोस्टिक सर्विस, रिसर्च और क्वालिटी में इसके शानदार योगदान के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्रतिष्ठित सिल्वर अवॉर्ड दिया है।

यह अवॉर्ड डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ रिसर्च (डीएचआर) द्वारा मानेकशॉ सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित एक खास वीआऱडीएल कॉन्क्लेव के दौरान दिया गया, ताकि अच्छा काम करने वाली लेबोरेटरी को सम्मानित किया जा सके और नेशनल वीआऱडीएल नेटवर्क की प्रोग्रेस का आकलन किया जा सके। माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड डॉ बैजयंती माला मिश्रा और पीडियाट्रिक्स की एसोसिएट डीन रिसर्च और प्रोफेसर डॉ भागीरथी द्विवेदी ने इंस्टीट्यूट की तरफ से यह अवॉर्ड लिया। यह सम्मान श्रीमती अनुप्रिया पटेल, माननीय हेल्थ और फैमिली वेलफेयर स्टेट मिनिस्टर, और डॉ राजीव बहल, सेक्रेटरी, डीएचआर और डायरेक्टर जनरल, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने कई जाने-माने लोगों और हेल्थ अधिकारियों की मौजूदगी में दिया।

वीआऱडीएल टीम को बधाई देते हुए, एम्स भुवनेश्वर के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और सीईओ डॉ आशुतोष बिस्वास ने उनकी कामयाबी पर गर्व जताया और पेशेंट केयर, डायग्नोस्टिक्स और रिसर्च में भविष्य में होने वाली तरक्की के लिए इंस्टीट्यूशनल सपोर्ट जारी रखने का भरोसा दिया।

एम्स भुवनेश्वर में वीआऱडीएल ने 50 से ज़्यादा तरह के वायरल इन्फेक्शन को कवर करते हुए 20,000 से ज़्यादा पेशेंट को फ्री डायग्नोस्टिक सर्विस दी है। सेंटर ने आउटब्रेक, एपिडेमिक और पैनडेमिक के दौरान पेशेंट केयर और पब्लिक हेल्थ मैनेजमेंट दोनों के लिए समय पर डायग्नोस्टिक सपोर्ट देने में अहम भूमिका निभाई है।

लैब में होने वाले खास इन्फेक्शन में कोविद-19, हाथ-पैर-मुंह की बीमारी, खसरा, हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस, जापानी एन्सेफलाइटिस और सांस से जुड़े दूसरे वायरस शामिल हैं। लैब को एनएबीएल से मान्यता मिली हुई है और इसके कई जाने-माने इंटरनेशनल जर्नल्स में बड़े असर वाले पब्लिकेशन हैं।

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