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186 अभ्यर्थी अभी भी फरार
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क्राइम ब्रांच ने उजागर किया बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा
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भर्ती बोर्ड की भूमिका पर उठे सवाल
भुवनेश्वर। ओडिशा में सब-इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती को लेकर बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। क्राइम ब्रांच सूत्रों के अनुसार, इस घोटाले में 300 पदों की बिक्री की गई है और इसमें शामिल अभ्यर्थियों के माध्यम से भर्ती प्रक्रिया में गहरा भ्रष्टाचार उजागर हुआ है।
सूत्रों के अनुसार, अभ्यर्थी परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने के लिए न केवल बसों का, बल्कि ट्रेनों का भी इस्तेमाल किए थेय़ परीक्षा केंद्रों पर उनके लिए पूर्वनिर्धारित मदद की व्यवस्था की गई थी, ताकि अभ्यर्थी परीक्षा पास कर सकें। बसों से यात्रा करने वाले 114 अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि ट्रेन से यात्रा करने वाले 186 अभ्यर्थी अभी भी फरार हैं। क्राइम ब्रांच उनके सभी विवरण और लिस्ट के आधार पर उनका पता लगाने में जुटी हुई है।
सर्टिफिकेट और भर्ती प्रक्रिया में मिली गड़बड़ी
प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ कि अभ्यर्थियों के असली प्रमाणपत्र ब्रोकरों के पास थे, जो इस घोटाले की पूर्व योजना को प्रमाणित करता है। दो निजी फर्में सिलिकॉन और पंचसॉफ्ट इस घोटाले में शामिल मानी जा रही हैं। विशेष रूप से पंचसॉफ्ट ने एडमिट कार्ड तैयार करने और परीक्षा केंद्र आवंटन में कथित गड़बड़ी की, और उम्मीदवारों को ‘अनुकूल’ केंद्रों में बैठाया गया ताकि उनकी सफलता सुनिश्चित हो सके।
भर्ती बोर्ड की कथित मिलीभगत पर उठ रहे सवाल
ओडिशा पुलिस भर्ती बोर्ड (ओपीआरबी) की प्रत्यक्ष भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। बताया गया है कि प्रारंभिक सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि पूरा घोटाला भर्ती बोर्ड की निगरानी में संचालित हुआ। क्राइम ब्रांच ने जांच तेज कर दी है और जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, आरोपियों की गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है। इस घोटाले ने ओडिशा पुलिस भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें उजागर कर दी हैं और अब राज्य में भर्ती प्रणाली की पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल उठे हैं।