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जगन्नाथ संस्कृति के अपमान पर मचा बवाल
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श्रद्धालुओं और विद्वानों ने जताया तीखा विरोध
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एसजेटीए से कानूनी कार्रवाई की मांग
ऋषिकेश/पुरी। इस्कॉन एक बार फिर विवादों में है। संगठन पर जगन्नाथ संस्कृति और परंपरा का उल्लंघन करने का आरोप लगा है। इस्कॉन के मधुवन आश्रम, ऋषिकेश द्वारा 7 अक्टूबर को 28वीं श्रीजगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन किया गया, जो निर्धारित तिथि से काफी पहले था। इस ‘असमय’ रथयात्रा ने श्रद्धालुओं और सांस्कृतिक जगत में भारी असंतोष पैदा कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार, रथयात्रा मधुबन आश्रम से सुबह 9:30 बजे शुरू हुई और त्रिवेणी घाट चौक होते हुए रेलवे रोड स्थित श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा तक संपन्न हुई। बताया जा रहा है कि यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाओं को चार पहियों वाले वाहन में रखा गया था।
पहले ही दी गई थी चेतावनी
सितंबर में गजपति महाराज दिव्यसिंह देव की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने इस्कॉन को 100 पन्नों का नोटिस भेजकर चेतावनी दी थी कि इस तरह की असमय स्नान यात्रा और रथयात्रा मंदिर परंपराओं और नियमों का उल्लंघन है। पत्र में यह भी उल्लेख था कि यदि इस्कॉन ने ऐसी गतिविधियां जारी रखीं तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन इसके बावजूद इस्कॉन ने मात्र एक महीने बाद ही फिर से असमय रथयात्रा का आयोजन किया, जिससे श्रद्धालुओं में नाराजगी और बढ़ गई है।
700 साल पुरानी परंपरा का अपमान
पुरी स्थित मुक्ति मण्डप पंडित सभा के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि परंपरा के अनुसार, रथयात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आयोजित की जाती है। यह परंपरा पिछले 700-800 वर्षों से चली आ रही है। असमय रथ यात्रा निकालना जगन्नाथ संस्कृति को कलंकित करने की कोशिश है, जिसका हम पुरजोर विरोध करते हैं। धार्मिक विद्वानों और सेवायतों ने एसजेटीए से अपील की है कि वह इस्कॉन के खिलाफ कानूनी कदम उठाए, ताकि भविष्य में कोई भी संस्था जगन्नाथ संस्कृति और श्रद्धा के मूल भाव से खिलवाड़ न कर सके।
फिलहाल, इस्कॉन की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन राज्य भर में श्रद्धालुओं और सांस्कृतिक संगठनों द्वारा संगठन के इस कदम की कड़ी निंदा की जा रही है।
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