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पर्यटकों के लिए बनेगा नया मार्ग, विश्राम स्थल और ई-वाहन सुविधा
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ओटीडीसी ने डीपीआर तैयार कर भेजा एनएमए को
भुवनेश्वर। ओडिशा की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर खंडगिरि और उदयगिरि की पहाड़ियां अब एक लंबे अंतराल के बाद नई सूरत में नजर आएंगी। ओडिशा पर्यटन विकास निगम (ओटीडीसी) ने इस प्राचीन स्थल के सौंदर्यीकरण और पुनर्विकास के लिए ठोस कदम उठाते हुए एक विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार किया है, जिसे राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) के अनुमोदन के लिए भेजा गया है।
यह परियोजना ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ पर्यटन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) इस बात पर नज़र रखेगा कि विकास कार्यों के दौरान स्थल की ऐतिहासिक महत्ता को कोई क्षति न पहुंचे। निर्माण कार्य एनएमए की स्वीकृति मिलने के बाद ही शुरू किया जाएगा।
योजना में पर्यटकों की सुविधा पर विशेष ध्यान
प्रस्तावित पुनर्विकास योजना के तहत खंडगिरि और उदयगिरि पहाड़ियों के बीच बेहतर संपर्क मार्ग, सुस्पष्ट आगंतुक क्षेत्र, और ऐतिहासिक स्थलों को जोड़ने वाले सुंदर पथवे बनाए जाएंगे।
इसके अलावा, आगंतुक सूचना केंद्र, कैफेटेरिया और विश्राम स्थल, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक ओपन एम्फीथिएटर की भी योजना शामिल है।
परियोजना में दिव्यांग पर्यटकों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिनमें ई-वाहन एक्सेस और समर्पित पथमार्ग शामिल हैं, ताकि हर आगंतुक आसानी से गुफाओं का भ्रमण कर सके।
औषधीय पौधों का संरक्षण
खंडगिरि क्षेत्र में पाई जाने वाली लगभग 450 प्रजातियों की औषधीय वनस्पतियों को संरक्षित करने की भी योजना बनाई गई है।
मंदिरों के लिए अलग प्रवेश मार्ग
इसके साथ ही जैन मंदिर और बाराभुजा मंदिर के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार तैयार किए जाएंगे ताकि भीड़ और आवाजाही का प्रबंधन सुचारु रहे। परियोजना के अंतर्गत एक खुला मैदान भी विकसित किया जाएगा, जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम और पर्यटन से जुड़े उत्सव आयोजित किए जा सकेंगे।
पार्किंग और यातायात की समस्या का समाधान
लंबे समय से चली आ रही पार्किंग समस्या को भी इस योजना में शामिल किया गया है। आधुनिक पार्किंग स्थल बसों, कारों और दोपहिया वाहनों के लिए बनाए जाएंगे, जिससे यातायात प्रबंधन और आगंतुक अनुभव दोनों में सुधार होगा।
इतिहास और पर्यटन का संतुलित संगम
ओटीडीसी अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना के लागू होने के बाद खंडगिरि–उदयगिरि न केवल अधिक आकर्षक और सुविधाजनक पर्यटन स्थल बनेगा, बल्कि अपनी ऐतिहासिक और पारिस्थितिक महत्ता को भी सुरक्षित रखेगा। यह पहल न केवल ओडिशा के समृद्ध इतिहास को नई पहचान देगी, बल्कि राज्य के सांस्कृतिक पर्यटन को भी नई ऊंचाई पर ले जाएगी।