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कई सीसीटीवी कैमरे व विद्युत उपकरण क्षतिग्रस्त
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एएसआई टीम ने की क्षति का मूल्यांकन
भुवनेश्वर। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित प्रसिद्ध लिंगराज मंदिर पर बुधवार रात भारी बारिश के दौरान गिरी बिजली से मंदिर का झंडा जल गया और कई सीसीटीवी कैमरे व विद्युत उपकरण क्षतिग्रस्त हो गए। गुरुवार सुबह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने मंदिर परिसर का निरीक्षण कर क्षति का आकलन किया। निरीक्षण के बाद जले हुए झंडे को परंपरागत विधि से उतारकर नया झंडा फहराया गया।
सूत्रों के अनुसार, एएसआई की टीम ने गुरुवार सुबह जल्दी मंदिर परिसर का दौरा किया और 11वीं शताब्दी के इस ऐतिहासिक मंदिर पर बिजली गिरने से हुए नुकसान का जायजा लिया।
यह निरीक्षण मंदिर सेवायतों की रिपोर्ट के बाद किया गया, जिन्होंने तूफान थमने के बाद नुकसान को देखा था। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि बिजली गिरने से मंदिर का झंडा, कुछ सीसीटीवी कैमरे और प्रकाश उपकरण प्रभावित हुए हैं।
नया झंडा लगाया गया
मंदिर प्रशासन ने बताया कि जला हुआ झंडा एएसआई टीम की जांच पूरी होने के बाद धार्मिक विधि से बदला गया। एएसआई अधिकारी अब मंदिर के विद्युत तंत्र और सीसीटीवी नेटवर्क में हुई क्षति का विस्तृत आकलन कर रहे हैं, विशेषकर गर्भगृह में लगे प्रकाश उपकरणों की जांच की जा रही थी।
जानकारी के अनुसार, लिंगराज मंदिर में लगभग 35 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिनमें से कुछ को नुकसान पहुंचा है। सटीक संख्या की पुष्टि अभी की जा रही है।
तेज बारिश और आकाशीय बिजली के दौरान हुई घटना
सेवायतों के मुताबिक, यह घटना बुधवार रात तब हुई जब भुवनेश्वर के कई हिस्सों में तेज बारिश, गर्जन और बिजली चमकने की स्थिति थी। नुकसान की पूरी तस्वीर गुरुवार सुबह सामने आई, जब सेवायतों ने मंदिर के ऊपरी हिस्से में जले झंडे और विद्युत उपकरणों में खराबी देखी।
पूजा-अर्चना सामान्य रूप से जारी
हालांकि बिजली गिरने से हुए नुकसान के बावजूद मंदिर की दैनिक पूजा-पाठ और दर्शन व्यवस्था सामान्य रूप से जारी रही। मंदिर प्रशासन ने बताया कि श्रद्धालुओं के प्रवेश या पूजा में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं हुआ।
भविष्य में सुरक्षा उपायों की सिफारिश करेगा एएसआई
एएसआई ने कहा है कि वह इस घटना पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए विद्युत सुरक्षा उपायों की सिफारिश करेगा। उल्लेखनीय है कि लिंगराज मंदिर, जो कलिंग शैली की वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, एएसआई के भुवनेश्वर सर्कल के अंतर्गत संरक्षित स्मारक है और इसके संरक्षण एवं रखरखाव की जिम्मेदारी एएसआई के पास है।