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1939 में ओडिशा के पीएम ने टैगोर को दी थी जमीन

  •     पुरी नगरपालिका ने उठाया था इसे गिराने का कदम

  •     ममता बनर्जी और नवीन पटनायक के हस्तक्षेप से बची इमारत – अनिल धीर

भुवनेश्वर। इतिहासकार और भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास (इंटेक) के ओडिशा चैप्टर के समन्वयक अनिल धीर ने बताया कि चक्रतीर्थ रोड स्थित यह भूमि 1939 में भारत में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान तत्कालीन ओडिशा के प्रधानमंत्री द्वारा टैगोर को आवंटित की गई थी। टैगोर परिवार ने इस जमीन पर एक भव्य इमारत बनवाई और बाद में इसे राज्य सरकार को शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए दान कर दिया। धीर ने कहा कि इमारत के पूरी तरह से जर्जर होने जाने के बाद जब पुरी नगरपालिका ने इसे गिराने का कदम उठाया तो इंटैक ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का ध्यान इस ओर आकर्षित करते हुए यह मामला उठाया। इमारत को बचा लिया गया, लेकिन समुद्र तट तक जाने वाली सड़क को चौड़ा करने के लिए इसकी चाहरदीवारी को गिरा दिया गया।

तीन प्रसिद्ध कविताओं की रचना की

उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि टैगोर कुछ समय तक इस विरासत भवन में रहे थे और उसी दौरान उन्होंने ‘प्रवासी’, ‘जन्मदिन’ और ‘एपारे ओपारे’ जैसी अपनी प्रसिद्ध कविताओं की रचना की थी। उन्होंने कहा कि उनकी प्रसिद्ध कृति गीतांजलि का एक अंश भी इसी घर में लिखा गया था।

चक्रवात से इमारत को हुआ था भारी नुकसान

धीर ने कहा कि वर्ष 2019 में पुरी में आए चक्रवात फनी से इमारत को भारी क्षति पहुंची, जिसके बाद इसकी मरम्मत नहीं की गई।

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