-
घंटों जाम में फंसे वाहन
-
मुख्य सड़कों पर लगा लंबा जाम
भुवनेश्वर। भुवनेश्वर में बुधवार को अचानक हुई भारी बारिश से यातायात व्यवस्था चरमरा गई। जनपथ, एनएच-16, शहीद नगर, वाणी विहार समेत शहर की प्रमुख सड़कों पर सैकड़ों कार, बस और दोपहिया वाहन घंटों तक फंसे रहे।
बारिश के कारण शहर के कई हिस्सों में जलजमाव हो गया, जिससे बस सेवाएं बाधित हो गईं। यात्री घंटों तक पानी भरे क्षेत्रों में बसों का इंतजार करते रहे। कई लोगों को सामान्य समय से दोगुना वक्त लग गया अपने गंतव्य तक पहुंचने में।
क्षेत्रीय मौसम विभाग ने पहले ही खुर्दा जिले के लिए पीली चेतावनी जारी की थी। इसके अलावा सुंदरगढ़, झरसुगुड़ा, बरगढ़, संबलपुर, देवगढ़, अनुगूल, ढेंकानाल, केंदुझर, मयूरभंज, बालेश्वर, भद्रक, जाजपुर, केंद्रापड़ा, कटक, जगतसिंहपुर, पुरी, नयागढ़, गंजाम और गजपति जिलों के लिए भी चेतावनी जारी की गई थी।
मौसम विभाग के अनुसार, इन जिलों के कुछ स्थानों पर गरज-चमक के साथ तेज हवाएं 30-40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली।
बंगाल की खाड़ी में बनेगा चक्रवाती परिसंचरण
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अनुमान जताया है कि 10 अक्टूबर के आसपास उत्तरी बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती परिसंचरण विकसित हो सकता है। इसके असर से ओडिशा के कई हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। भुवनेश्वर क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, यह प्रणाली धीरे-धीरे सक्रिय होगी और आने वाले दिनों में राज्य के मौसम पर असर डालेगी।
10-11 को तेज हवा संग बारिश
नवीनतम बुलेटिन के मुताबिक, 10 और 11 अक्टूबर को ओडिशा के अधिकांश हिस्सों में हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है।
निम्न दबाव के क्षेत्र में बदल सकता है सिस्टम
मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि फिलहाल यह चक्रवाती परिसंचरण प्रारंभिक अवस्था में है। आने वाले दिनों में इसकी दिशा और ताकत से तय होगा कि यह कम दबाव क्षेत्र में बदलता है या नहीं।
मछुआरों को दी गई चेतावनी
खाड़ी क्षेत्र में समुद्र की स्थिति अगले कुछ दिनों में खराब हो सकती है। ऐसे में मछुआरों को सलाह दी गई है कि समुद्र में जाने से पहले मौसम विभाग के ताजा पूर्वानुमानों पर ध्यान दें।
सावधानी बरतने की सलाह
मौसम विभाग ने विशेषकर ग्रामीण और तटीय क्षेत्रों के लोगों को सतर्क रहने की अपील की है, क्योंकि गरज-चमक के दौरान बिजली गिरने का खतरा अधिक रहता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी के दौरान ऐसे पोस्ट-मानसून सिस्टम अक्सर अल्पकालिक बारिश और गरज-चमक लाते हैं, जिससे सर्दियों से पहले मिट्टी को आवश्यक नमी मिलती है।