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श्रीमंदिर में विराजित हुए महाप्रभु श्री जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा

  • नीलाद्री बिजे की नीति संपन्न, रसगुल्ला खाकर मां लक्ष्मी मानी

  • विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा की प्रक्रिया पूरी हुई

  • आज चढ़ेगा नीलांचल महाप्रसाद

प्रमोद कुमार प्रुष्टि, पुरी

पुरीधाम स्थित श्रीमंदिर में आज महाप्रभु श्रीजगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अपने-अपने सिंहासन पर विजारित हो गये. इससे पहले नीलाद्रीबिजे की नीतियां आयोजित की गयीं. श्रीमंदिर प्रशासन की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार, सुबह से मंगल आरती, मयलम तड़पलागी, अवकाश, सकाल धूप के साथ-साथ अन्य नीतियां अपने तय समय से पहले हुईं. इसके बाद अपराह्न को संध्या धूप नीति संपन्न की गयी. फिर रथों से घोड़ा निकाले जाने के बाद चार माला रथों में बांधा गया. यह सभी नीतियां भोई सेवायतों ने की.

इसके बाद अन्य नीतियों को संपन्न करते हुए नीलाद्री बिजे की नीति आरंभ हुई. पुष्पांजलि नीति शाम 4.30 बजे मुदिरस्त सेवायत ने संपन्न करायी. फिर 4.35 बजे रामकृष्ण, मदनमोहन को रथों से उतार कर महाजन सेवायत श्रीमंदिर परिसर स्थित दक्षिण घर में विराजित कराये.

इसके बाद गोटी पहंडी प्रकरण के दौरान 5.05 बजे देवी सुभद्रा जी के दर्पदलन रथ से सुदर्शन जी को सेवायतों ने गोटी पहंडी के दौरान कंधे पर लेकर श्रीमंदिर के रत्न सिंहासन पर विराजित कराये. 5.30 बजे तालध्वज रथ से बड़े भाई बलभद्र जी को सेवायतों ने पहंडी के जरिये लाकर श्रीमंदिर परिसर स्थित रत्न सिंहासन पर विराजित कराया.

फिर शाम 6.45 बजे दर्पदलन रथ से देवी सुभद्रा को इसी तरह से श्रीमंदिर स्थित रत्न सिंहासन पर विराजित कराया गया. अंत में महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी को नंदीघोष रथ से उतारते समय परंपरा के अनुसार सभी देवों की तरह टाहियालागि के बाद रथ के उपर चार माला के पास विराजमान रहे श्रीमंदिर के अंदर में उसी समय रसोईघर में स्थित चाहाणीमंडप में मां लक्ष्मी को सेवायतों ने लाकर भगवान के सामने दूर से दर्शन करवाया. इसी दौरान मां लक्ष्मी जी के पास भीतरुछ सेवायत ने वंदपना नीति संपन्न कराया. इसके बाद महाप्रभु श्रीजगन्नाथ की पहंडी शाम 7.45 बजे से शुरू हुई और वे रथ से नीचे उतरे और सदियों की परंपरा के अनुसार रसगुल्ला भोग चढ़ाया गया. यह भोग सिर्फ सेवायतों ने चढ़ाया.इसके बाद सिंहद्वार पर पहंडी के जरिये पहुंचते ही मां लक्ष्मी ने दरवाजे को बंद कर दिया.

फिर कुछ समय के बाद दरवाजे को खोल दिया गया और अंदर जाते ही जय-विजय द्वार को बंद कर बचनिका नीति संपन्न हुई. इसके तहत दोनों तरफ से दो सेवायतों ने परपंरा के अनुसार बचनिका नीति संपन्न करायी. इसके बाद मां लक्ष्मी रसगुल्ला प्रसाद ग्रहण कर मान गयीं. फिर दरवाजे को खोला गया. वहां महाप्रभु श्रीजगन्नाथ और मां लक्ष्मी का गांठ खोल दिया गया. इसके बाद महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने पान खाया और फिर रत्न सिंहासन पर विराजित हुए. इसके साथ ही महाप्रभु श्रीजन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा की पूरी परंपरा संपन्न हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के सभी नीतियों का पालन किया गया और  नीलाद्री बिजे में कोई भक्त श्रीमंदिर के पास नहीं पहुंचा. कल नीलांचल महाप्रसाद भोग चढ़ाया जायेगा. सेवायत श्रीमंदिर से बाहर लाकर इसे भक्तों को उपलब्ध करायेंगे. श्रीमंदिर में किसी भक्त का प्रवेश नहीं हो पायेगा.

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