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ओडिशा के 10 जिलों में सोने के खदानों की होगी नीलामी

  •     देवगढ़ और केंदुझर में बड़े भंडार की पुष्टि

  •     अन्य जिलों में खोज जारी

भुवनेश्वर। ओडिशा खनिज संपदा के मामले में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करने जा रहा है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने राज्य के कई जिलों में सोने के बड़े भंडार की पुष्टि की है। खनिज मंत्री विभूति भूषण जेना ने विधानसभा में जानकारी दी कि देवगढ़, सुंदगढ़, नवरंगपुर, केंदुझर, अनुगूल और कोरापुट में सोने के पक्के भंडार मिले हैं, जबकि मयूरभंज, मालकानगिरि, सांबलपुर और बौध जिलों में प्रारंभिक स्तर पर खोज जारी है।

देवगढ़ में 1,685 तथा केंदुझर 311 किलो सोने का भंडार

मंत्री जेना ने बीजद विधायक अश्विनी पात्रा के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि देवगढ़ जिले के आदश इलाके में लगभग 1,685 किलो सोने का भंडार मिला है। वहीं, केंदुझर के गोपुर क्षेत्र में करीब 311 किलो सोने की पुष्टि हुई है।

ओडिशा से 10 से 20 मीट्रिक टन सोना की संभावना

देवगढ़ में सर्वेक्षण जीएसआई ने किया, जबकि केंदुझर क्षेत्र का सर्वे जीएसआई और राज्य खनन एवं भूविज्ञान निदेशालय ने संयुक्त रूप से किया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि ओडिशा से 10 से 20 मीट्रिक टन सोना निकाले जाने की संभावना है।

राज्य की अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया सहारा

हालांकि भारत हर साल 700-800 टन सोना आयात करता है और ओडिशा के भंडार उसके मुकाबले छोटे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इन खनिजों का आर्थिक महत्व काफी बड़ा होगा।

सोने की खदानों से छोटे पैमाने पर भी उत्पादन शुरू होने पर स्थानीय स्तर पर रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, बुनियादी ढांचे में सुधार होगा और खनन बेल्ट से जुड़े सहायक कारोबार को भी बढ़ावा मिलेगा। ओडिशा पहले से ही क्रोमाइट, बॉक्साइट और लौह अयस्क उत्पादन में देश में अग्रणी है। अब सोने के जुड़ने से राज्य का खनिज पोर्टफोलियो और मजबूत होगा।

नीलामी और खनन का रोडमैप तैयार

राज्य सरकार, ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन (ओएमसी) और जीएसआई मिलकर देवगढ़ जिले में पहला सोना खनन ब्लॉक नीलाम करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।

खोज का काम प्रारंभिक सर्वेक्षण से आगे बढ़कर अब सैंपलिंग और ड्रिलिंग के चरण में पहुंच चुका है, ताकि वाणिज्यिक संभावना का मूल्यांकन किया जा सके। आगे प्रयोगशाला विश्लेषण, तकनीकी व्यवहार्यता रिपोर्ट, पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव का अध्ययन तथा प्रस्तावित खनन क्षेत्रों में सड़क, बिजली और पानी जैसी सुविधाओं का विकास किया जाएगा।

अधिकारियों ने साफ किया है कि खनन तभी शुरू होगा जब यह आर्थिक और तकनीकी दृष्टि से व्यवहार्य साबित होगा।

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