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ओडिशा कह रहा है बेरोजगारी को बाय-बाय

  •  राज्य में महज 0.9% बेरोजगारी दर

  •  देश के अन्य राज्यों से बेहतर से बेहतर है स्थिति

  •  सरकारी योजनाएं, स्टार्टअप और महिला सशक्तिकरण ने कम की बेरोजगारी

हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर।
देश में बेरोजगारी की चुनौती आज भी गंभीर बनी हुई है, लेकिन ओडिशा राज्य ने 2023-24 में इसे 0.9% तक सीमित कर उल्लेखनीय सफलता हासिल की है, जो देश के अन्य प्रमुख राज्यों की तुलना में काफी कम है। राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर 4.2% दर्ज की गई है, जिसमें पुरुषों में यह 3.7% और महिलाओं में 2.7% रही। युवा वर्ग (15-29 वर्ष) में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 17.9% जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 13.7% है।
भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र और आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के आंकड़ों में यह उल्लेखनीय स्थिति दर्शायी गई है।
देशभर में 1998 से 2024 तक बेरोजगारी दर धीरे-धीरे घटती रही है। वर्ष 1998 में यह 7.51% थी, और साल दर साल वृद्धि और कमी के बाद 2021 में 6.38% तक आई। 2022 में यह 4.82% दर्ज हुई, और 2023 में 4.17% रहकर 2024 में 4.20% पर स्थिर हुई।
बेरोजगारी में हरियाणा और राजस्थान सबसे ऊपर
राज्यवार स्थिति देखें तो हरियाणा में 37.4%, राजस्थान में 28.5%, बिहार 19.1%, झारखंड 18%, जम्मू-कश्मीर 14.8%, त्रिपुरा 14.3%, सिक्किम 13.6%, गोवा 9.9%, आंध्र प्रदेश 7.7%, हिमाचल प्रदेश 7.6%, असम 4.7%, छत्तीसगढ़ 3.4%, मध्य प्रदेश 3.2%, महाराष्ट्र 3.1%, कर्नाटक 2.5%, गुजरात 2.3% और ओडिशा में केवल 0.9% बेरोज़गारी दर्ज की गई।
ओडिशा में बेरोजगारी दर कम होने के पीछे कई कारण
ओडिशा में बेरोजगारी दर कम होने के पीछे कई कारण हैं। राज्य में औद्योगिक निवेश और मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों का विस्तार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ा रहा है। आईटी और स्टार्टअप क्षेत्र में भी प्रोत्साहन से नए व्यवसाय और स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं।
सरकार की लखपति दीदी योजना ने महिलाओं को स्वरोजगार और छोटे उद्योग खोलने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है। स्टार्टअप प्रोत्साहन योजनाओं ने युवा उद्यमियों को प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और पूंजी उपलब्ध कराकर रोजगार सृजन में मदद की है। राज्य की सुभद्रा योजना के माध्यम से महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों और लघु उद्यमों में निवेश के लिए आर्थिक सहायता मिलती है। इससे ग्रामीण और शहरी महिलाओं को स्थायी रोजगार अवसर प्राप्त हुए हैं।
कृषि और मत्स्य पालन क्षेत्रों में नई दिशा
कृषि और मत्स्य पालन क्षेत्रों में नवाचार और तकनीकी प्रशिक्षण से भी रोजगार के अवसर बढ़े हैं। छोटे और मझोले उद्योगों में प्रशिक्षण कार्यक्रम युवाओं को रोजगार योग्य बनाते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, ओडिशा की यह सफलता मॉडल बन सकती है। निवेश, औद्योगिक विकास, स्वरोजगार और महिला सशक्तिकरण के समन्वय ने बेरोज़गारी को कम करने में निर्णायक भूमिका निभाई है। सरकारी योजनाओं और उद्योगों के विस्तार के चलते स्थानीय युवाओं और महिलाओं को रोजगार मिल रहा है, जिससे आर्थिक वृद्धि और सामाजिक सशक्तिकरण सुनिश्चित हो रहा है।
राज्य सरकार का स्पष्ट विजन है कि बेरोजगारी कम करने के लिए नए उद्योगों को प्रोत्साहन, कौशल विकास, स्वरोजगार योजनाओं और महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया जाएगा। यह ओडिशा को एक ऐसे मॉडल राज्य के रूप में स्थापित करता है, जहां रोजगार और आर्थिक सुरक्षा के माध्यम से हर वर्ग को लाभ पहुंचाने के ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

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