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श्रेमयी के समर्थन में उतरे बीजद सांसद देवाशीष सामंतराय

  •     कहा-उनके साथ अन्याय हुआ, चिंताएं वाजिब

  •     उनको किया गया नजरअंदाज और अपमानित

भुवनेश्वर। बीजद की राज्यसभा सांसद देवाशीष सामंतराय ने पार्टी नेता श्रेमयी मिश्रा का खुलकर समर्थन किया है। हाल ही में उनके ‘सन्यासी’ बयान से शुरू हुई राजनीतिक बहस के बीच सांसद ने कहा कि श्रेमयी की बातें सच्चाई पर आधारित हैं और उनके साथ पार्टी में अन्याय हुआ है।

सामंतराय ने मीडिया से कहा कि श्रेमयी को नजरअंदाज किया गया और अपमानित किया गया। उन्होंने जो कहा है, वह बिल्कुल सही है। पार्टी ने उन्हें टिकट देने का आश्वासन देने के बावजूद अंततः मौका नहीं दिया। अब वे अपनी पीड़ा व्यक्त कर रही हैं और पार्टी को उनकी शिकायतें गंभीरता से सुननी चाहिए। केवल कार्रवाई करना लोकतांत्रिक पार्टी की पहचान नहीं है, बल्कि शिकायतों का समाधान करना असली लोकतंत्र है।

उन्होंने यह भी कहा कि श्रेमयी की तरह कई नेताओं, जिनमें प्रफुल्ल मल्लिक भी शामिल हैं, की चिंताएं सही हैं और पार्टी नेतृत्व को इन्हें स्वीकार करना चाहिए।

नवीन को ‘धृतराष्ट्र’ संबोधित किया था

गौरतलब है कि श्रेमयी मिश्रा ने हाल ही में सोशल मीडिया पर ‘फर्जी संन्यासियों’ को लेकर एक टिप्पणी की थी, जिसे पूर्व नौकरशाह और पूर्व बीजद नेता वीके पांडियन पर अप्रत्यक्ष हमला माना जा रहा है। इससे पहले उन्होंने एक अन्य पोस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को ‘धृतराष्ट्र’ के रूप में संबोधित कर विवाद खड़ा कर दिया था। हालांकि बीजद के अन्य नेताओं की ओर से इस ताजा घटनाक्रम पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई थी।

प्रफुल्ल मल्लिक के निलंबन पर असहमति जताई

इसके साथ ही सामंतराय ने वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल मल्लिक के निलंबन पर असहमति जताई है। उन्होंने इस फैसले को गलत बताते हुए कहा कि इससे पार्टी को गंभीर नुकसान हो सकता है।

सामंतराय ने मीडिया से कहा कि प्रफुल्ल मल्लिक जैसे वरिष्ठ नेताओं ने बीजद के लिए लंबे समय तक अहम योगदान दिया है। ऐसे नेताओं को नज़रअंदाज़ करना या निलंबित करना पार्टी के लिए नुकसानदेह होगा। अनुभवी नेताओं को दरकिनार करने से असंतोष बढ़ सकता है और पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है।

और भी नेताओं का मोह हो सकता है भंग

उन्होंने चेतावनी दी कि मल्लिक और भास्कर राव जैसे दिग्गज नेताओं को अलग-थलग करने से पार्टी से और भी नेताओं का मोहभंग हो सकता है। सामंतराय ने कहा कि नवीन पटनायक भी चुनाव हार चुके हैं, तो हार का मतलब यह नहीं कि किसी नेता को निलंबित कर दिया जाए। भास्कर राव भी एक वरिष्ठ नेता हैं और उन्होंने पार्टी के खिलाफ बोलने पर खेद जताया है।

नेताओं को राय रखने की आजादी – प्रमिला

वहीं, बीजद विधायक प्रमिला मल्लिक ने कहा कि नेताओं को अपनी राय रखने की आजादी है, लेकिन पार्टी के खिलाफ सार्वजनिक बयान देना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पार्टी के भीतर विवादों का समाधान आंतरिक मंचों पर होना चाहिए। अगर अनुशासनहीनता पर कार्रवाई नहीं की जाएगी, तो पार्टी में अराजकता बढ़ेगी। पार्टी अध्यक्ष ने जो फैसला लिया है, वही सही है।

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